भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से बड़ी खबर सामने आई है, एमपी एमएलए कोर्ट ने राहुल गांधी के करीबी और कांग्रेस के पूर्व मंत्री और विधायक जीतू पटवारी को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. जीतू पटवारी समेत उनके अन्य सहयोगियों को शासकीय कार्य में बाधा के मामले में दोषी ठहराया गया है और एक साल की सजा सुनाते हुए 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है. बता दें कि जीतू पटवारी के साथ सारंगपुर के पूर्व विधायक कृष्ण मोहन मालवीय को भी सजा सुनाई गई है.
जीतू पटवारी समेत अन्य को एक साल की सजा
शासकीय कार्य में बाधा, बलवा समेत अन्य धाराओं में जीतू पटवारी व अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ राजगढ़ जिले में साल 2009 में मामला दर्ज किया गया था. ये मामला लंबे समय से कोर्ट में लंबित था और अब इस मामले पर सुनवाई करते हुए एमपी एमएलए कोर्ट ने जीतू पटवारी व अन्य कांग्रेस नेताओं को दोषी करार देते हुए उन्हें 1 साल की सजा व 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है. जीतू पटवारी के साथ सारंगपुर के पूर्व विधायक कृष्ण मोहन मालवीय, कांग्रेस नेता घनश्याम वर्मा और सुरेंद्र मरमट को सजा हुई है. बता दें कि जीतू पटवारी की गिनती राहुल गांधी के करीबी नेताओं में होती है.
ये है पूरा मामला
साल 2009 में राजगढ़ में किसानों की समस्याओं को उठाने के लिए राजगढ़ के खिलचीपुर नाके पर पूर्व विधायक दिग्विजय सिंह की मौजूदगी में धरना प्रदर्शन किया गया था. जिसके बाद बड़ी संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ता खिलचीपुर नाके से पैदल कलेक्ट्रेट पहुंचे थे और वहां उग्र प्रदर्शन करते हुए कलेक्ट्रेट में लगा गेट तोड़ दिया था. इस दौरान पत्थरबाजी भी हुई थी जिसके कारण पुलिस को लाठियां भांजनी पड़ी थीं. इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को सिर में चोट लग गई थी और खून बहने लगा था जिसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ता और उग्र हो गए थे और कलेक्ट्रेट में घुसकर जमकर तोडफ़ोड़ की थी. इस बीच दिग्विजय सिंह भी लहूलुहान अवस्था में ही कलेक्ट्रेट के अंदर गए. जहां कलेक्टर उनसे मिलने के लिए आ रहे थे, लेकिन कार्यकर्ताओं को उग्र देखते हुए दिग्विजय सिंह उन्हें तुरंत वापस चेंबर के अंदर ले गए और उन्होंने अपने ही कार्यकर्ताओं पर लाठियां चलाना शुरू कर दिया और सब को रोका था. साल 2017 में जीतू पटवारी राजगढ़ न्यायालय में इस मामले में पेश हुए थे और फिर बाद में मामला एमएलए न्यायालय भोपाल को शिफ्ट कर दिया गया था.
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