नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने आबकारी नीति से जुड़े कथित घोटाले से संबंधित धन शोधन के मामले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को खारिज कर दी. दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे वापस ले लिया गया.
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने सिसोदिया के अलावा हैदराबाद के उद्योगपति अभिषेक बोइनपल्ली, शराब कंपनी एम/एस पेरनोड रिचर्ड के मैनेजर बेनॉय बाबू और आम आदमी पार्टी के पूर्व संचार प्रभारी विजय नायर की याचिका भी नामंजूर कर दी. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धन शोधन के मामले में ये सभी सह-आरोपी हैं. सिसोदिया को घोटाले में कथित भूमिका के लिए सबसे पहले 26 फरवरी को सीबीआई (केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो) ने गिरफ्तार किया था और वह तब से हिरासत में हैं.
उच्च न्यायालय सीबीआई वाले मामले में 30 मई को उन्हें जमानत देने से इनकार कर चुका है. उन्हें ईडी ने नौ मार्च को गिरफ्तार किया था और अभी वह न्यायिक हिरासत में हैं. उच्च न्यायालय ने दो जून को सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था. सिसोदिया ने मल्टीपल स्केलेरोसिस से पीडि़त अपनी पत्नी के बिगड़ते स्वास्थ्य सहित विभिन्न आधारों पर जमानत मांगी थी. ईडी ने सिसोदिया सहित अन्य आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध किया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास के ऊपर उड़े ड्रोन से मचा हड़कंप, एक्शन में एसपीजी और दिल्ली पुलिस
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