बिहार में राजनीतिक के प्रासंगिक लालू प्रसाद यादव

बिहार में राजनीतिक के प्रासंगिक लालू प्रसाद यादव

प्रेषित समय :17:58:46 PM / Sat, Jul 22nd, 2023

अनिल मिश्र. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल  (राजद )के सर्वेसर्वा यानी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एक बार पुनः अपने पुराने अंदाज में लौट आए हैं. बिहार में गरीबों के मसीहा के नाम से चर्चित और दबे, कुचले और उपेक्षित लोगों के आवाज बुलंद करने वाले लालू प्रसाद यादव ऐसे वक्त में सक्रिय हुए हैं, जब बिहार में भारतीय जनता पार्टी बगैर नीतीश कुमार के सत्ता हासिल करने की कोशिश में जुटी है. बिहार के बहुचर्चित पशुपालन विभाग में चारा घोटाला में लालू प्रसाद यादव के नाम आने के बाद अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाने के कारण जनता दल पार्टी में टूट के बाद राष्ट्रीय जनता दल नाम से अपनी पार्टी बनाकर बिहार और केंद्र में राजनीति करने वाले लालू प्रसाद यादव काफी दिनों तक जेल में  रहने और गंभीर बीमारी के वजह से राजनीति से दूर रहे. लेकिन हाल के दिनों में कभी राष्ट्रीय राजनीति में किंग मेकर की भूमिका में रहने वाले लालू प्रसाद यादव की  राजनीतिक सक्रियता ने उनके विरोधियों के होश उड़ा दिए हैं. चारा घोटाला में नाम आने के बाद लालू प्रसाद यादव के जेल जाने और मुख्यमंत्री के कुर्सी पर अपनी कम पढ़ी लिखी पत्नी राबड़ी देवी को बैठाकर सरकार चलाने का आरोप लगाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट कर विपक्षी दलों का चेहरा बनने के जुगत में लगें हैं .वहीं लालू प्रसाद यादव अपने छोटे बेटे और बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाने को लेकर लालायित हैं. 

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में लालू यादव चारा घोटाला के आरोप में राँची में के जेल में बंद थे.उसी समय तेजस्वी यादव ने राष्ट्रीय जनता दल की कमान संभाली. विधानसभा चुनाव में पोस्टर से लेकर प्रचार तक लालू यादव का नाम से लेकर चेहरा तक गायब कर दिए गए .तेजस्वी के नाम और चेहरा पर राजद ने चुनाव लड़कर प्रदेश में 79 विधानसभा की सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर आईं .लेकिन भारतीय जनता पार्टी और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड के गठबंधन के कारण सत्ता से दूर रह गई. मगर अगस्त 2022 में समय बदला और नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल से मिलकर महागठबंधन की सरकार बनी तो तेजस्वी यादव पुनः बिहार के उपमुख्यमंत्री बन गए. 2020 के चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जगह-जगह काफी विरोध का सामना करना पड़ा था. जिसके कारण वो कई चुनाव सभा में वो अपना यै अंतिम चुनाव बताया था. इसी कारण 2022 में राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन करने के दौरान बिहार में होने वाले 2025 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने और मुख्यमंत्री के कुर्सी पर तेजस्वी को बैठाने की बात राष्ट्रीय जनता दल द्वारा उठाई जाती रही है. राजनीतिक रूप से काफी परिपक्व लालू यादव राजनीति के जोड़-तोड़ के काफी माहिर खिलाड़ी रहें हैं. इसी कारण बिहार के साथ-साथ केंद्र में काफी दिनों तक सत्ता का केंद्र बने रहें हैं.

 बिहार सहित देश में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ काफी सक्रिय रहें हैं. इसी कारण भाजपा के खिलाफ रहीं राजनीतिक पार्टियों के नेतृत्व पर उनका काफी असर रहा है. यही कारण रहा है कि वो गरीबों, पिछड़ों और वंचितों का सर्वमान्य नेता हैं. यही कारण है कि बिहार में ऑपरेशन लोटस तमाम कोशिशों के बावजूद कामयाब नहीं हो रहा.  हाल के दिनों में नीतीश कुमार के अगुवाई में  केन्द्र के सत्ता में पिछले नौ साल से सत्ता में बैठे नरेंद्र मोदी को सत्ता से दूर करने और 2024 के लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को धूल चटाने को लेकर उत्साहित नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एक करने में लगें हैं वहीं लालू प्रसाद यादव अपने छोटे बेटे तेजस्वी को मुख्य मंत्री के कुर्सी पर देखना चाह रहें हैं. इसी कारण हाल के दिनों में विपक्षी दलों के एकता में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहें हैं. अपने किडनी ट्रांसप्लांट के बाद स्वास्थ्य लाभ लेकर पटना पहुँचने के बाद लालू प्रसाद यादव राजनीति में फिर काफी सक्रिय हो गए हैं. इसी कारण पटना में हुई विपक्षी दलों के बैठक के बाद बेंगलुरु में आयोजित बैठक में भी भाग लिया तथा नरेन्द्र मोदी को 2024 में विदा करने की बात वाले बयान 18 जुलाई दे डाली. इसके पहले लालू प्रसाद यादव ने 23 जून को वो बोले थे कि हम ठीक हो गए अब नरेंद्र मोदी को ठीक करेंगे. अब आने वाले समय हीं बतायेगा कि नरेंद्र मोदी सत्ता से हटते हैं या तेजस्वी बिहार के गद्दी नीतीश की जगह संभालते हैं. लेकिन जो भी हो लालू के नीतीश से दोस्ती और मोदी पर हमला बिहार की राजनीति पर जरूर असर डालेगा. लालू नीतीश से ज्यादा राजनीतिक रुप से बिहार के मतदाताओं की नब्ज को पकड़ने में माहिर खिलाड़ी हैं. यहीं कारण है लालू प्रसाद यादव ने बिहार में वर्षो राज किए .तथा आज भी वो राजनीति के प्रासंगिक बने हुए हैं. फिलहाल बिहार में लालू के बिना राजनीति संभव नहीं दिखता. इसी कारण लालू प्रसाद यादव आज भी भाजपा विरोधी पार्टियों के राजनीतिक रुप से धुरी बने हुए हैं.
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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