जबलपुर. आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर हर घर तिरंगा अभियान पूरे देश में धूमधाम से देशवासी मना रहे हैं, इसके लिए सभी सरकारी कार्यालयों, विभागों को भी निर्देशित किया गया है. इसी तारतम्य में हर रेल कर्मचारी को झंडा प्रदान किया जा रहा है. जबलपुर मंडल में जो झंडा रेल कर्मचारियों को वितरित किया जा रहा है, वह गुणवत्ताहीन पाया गया है, काफी झंडों में दाग लगे हैं तो कई आड़े-तिरछे मिले हैं, जिसको लेकर रेल कर्मचारियों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.
दरअसल, इस वर्ष पूरे वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है, 15 अगस्त को इसका समापन होगा, इस अवसर को भव्यता प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने अपने सभी कार्यालयों, कर्मचारियों को झंडा वितरण करने का निर्णय लिया, रेलवे में भी झंडा खरीदी कर कर्मचारियों, उनके विभागों में बांटें गये हैं. बताते हैं कि जबलपुर में जो झंडा वितरित किया गया है, वह राष्ट्रध्वज के लिए निर्धारित मानदंड के अनुरूप नहीं पाये गये हैं. कई झंडे आड़े-तिरछे हैं, तो कई में दाग लगे हैं तो कई झंडे मिसप्रिंटिंग हैं.
रेलवे ने पोस्ट आफिस पर डाली जवाबदारी
बताया जाता है कि जब गुणवत्ताहीन झंडे की शिकायतें कई लोगों ने जिम्मेदारों से की तो वहां से कहा गया कि इस बार राष्ट्रीय ध्वज केवल पोस्ट आफिस से ही खरीदी करने का आदेश था, इसलिए जो आपूर्ति रेलवे को की गई है. वह पोस्ट आफिस से आयी है. इसलिए जो झंडा प्राप्त हुआ, उसे ही वितरित किया गया है. उल्लेखनीय है कि हर झंडे के लिए प्रत्येक रेल कर्मचारी को 25 रुपए के हिसाब से भुगतान करना होगा, पिछले वर्ष भी इतनी ही राशि हर कर्मचारी के वेतन से काटी गई थी.
यह है राष्ट्र ध्वज के संबंध में नियम
1. खुले में 24 घंटे तक तिरंगा फहरा सकते हैं. जहां भी तिरंगा फहराया जाएगा, उसे पूरे सम्मान के साथ फहराएं. तिरंगे को पानी में नहीं भिगोना है, न ही किसी भी प्रकार इसे क्षति पहुंचानी है. ध्यान दें कि तिरंगे में केसरिया पट्टी सबसे ऊपर होनी चाहिए. तिरंगा आधा झुका, कटा और फटा नहीं होना चाहिए. इसे विधिवत ही फहराना होगा.
2. पहले, मशीन से बने और पॉलिएस्टर से बने राष्ट्रीय ध्वज को फहराने की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब हाथ या मशीन से बना हुआ कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/ रेशमी खादी से बना तिरंगा भी अपने घर पर फहराया जा सकता है.
3. सरकार ने तिरंगे को किसी भी वक्त फहराने की अनुमति दे दी. अब इसे दिन रात 24 घंटे फहराया जा सकता है. इससे पहले तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी.
4. झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए.
5. इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए.
6. अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं.
7. तिरंगा कभी भी फटा या मैला-कुचैला नहीं फहराया जाना चाहिए.
8. तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता.
9. किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन को छूना नहीं चाहिए.
10. किसी अन्य झंडे को राष्ट्रीय ध्वज से ऊंचा नहीं रख या लगा सकते.
11. झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं.
12. झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है.
13. झंडा अगर फट जाए या फिर मैला हो जाए तो उसे एकांत में मर्यादित तरीके से नष्ट करना चाहिए.
14. तिरंगे को अपने पास पूरे सम्मान के साथ तह लगाकर रखना है. न फेंकना है न ही क्षति पहुंचानी है.
15. तिरंगा समय के साथ हवा से या किसी अन्य कारण गंदा हो जाए या फट जाए तो ऐसी स्थिति में निस्तारण बहुत ही सावधानी से करना है. गाइडलाइन के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज के
निस्तारण के दो तरीके हैं. एक दफन करना और दूसरा जलाना. बेहद गंदे या किसी कारण फट गए राष्ट्रीय ध्वज को दफन करने के लिए लकड़ी का ही बॉक्स लेना होगा. इसमें तिरंगे को सम्मानपूर्वक तह लगाकर रखना होगा. फिर बहुत ही साफ स्थल पर जमीन में दफन करना होगा. इसके बाद उस स्थान पर दो मिनट तक मौन खड़े रहना होगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सना खान की जबलपुर में हत्या, आरोपित ने नागपुर की भाजपा नेत्री को मारकर शव हिरन नदी में फेंका
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