#महाराष्ट्र गोदावरी परुलेकर.... जिन्होंने पहला संगठित साक्षरता अभियान शुरू किया!

#महाराष्ट्र गोदावरी परुलेकर.... जिन्होंने पहला संगठित साक्षरता अभियान शुरू किया!

प्रेषित समय :21:18:36 PM / Tue, Aug 15th, 2023

प्रदीप द्विवेदी (व्हाट्सएप- 8005967540). गोदावरी पारुलेकर का नाम पहली बार मैंने बांसवाड़ा के पहले प्रधानमंत्री भूपेंद्रनाथ त्रिवेदी की पत्नी प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी श्रीमती शकुंतला त्रिवेदी से सुना था, भूपेंद्रनाथ त्रिवेदी जिन्होंने भील आश्रम में विवाह किया, आजादी के आंदोलन के दौरान मुंबई में अपने पांच साल के बेटे यतींद्रनाथ त्रिवेदी को हमेशा के लिए खो दिया, तो अखबार पढ़ने के जुर्म में जिन्हें सजा हुई थी.

प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी गोदावरी परुलेकर ने आजादी से पहले महाराष्ट्र का पहला संगठित साक्षरता अभियान शुरू किया था.
प्राप्त जानकारी के अनुसार 14 अगस्त 1907 को जन्मी गोदावरी परुलेकर महाराष्ट्र की पहली कानून स्नातक महिला थीं, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ छात्र आंदोलन के समय से सक्रिय थी, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सत्याग्रह आंदोलन में सक्रियता के कारण उन्हें 1932 में ब्रिटिश शासन द्वारा दोषी करार दिया गया, जेल हुई, लेकिन.... जेल से रिहा होने के बाद परिवार ने उन्हें स्वीकार करने से इनकार कर दिया, पारिवारिक संबंध टूट गए और वह मुंबई आ गईं, जहां उन्होंने 1905 में गोपाल कृष्ण गोखले द्वारा स्थापित- सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी में समाज सेवा शुरू की और वह सोसायटी की आजीवन सदस्य के रूप में शामिल होने वाली पहली महिला बनीं.

सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी, मुंबई के मंच से उन्होंने 1937 में महाराष्ट्र में पहला संगठित साक्षरता अभियान शुरू किया, यही नहीं, उन्होंने 1938 में मजदूर विरोधी काले कानून का विरोध किया और घरेलू कामगारों के हजारों लोगों के प्रदर्शन का नेतृत्व भी किया.

गोदावरी परुलेकर को 1940 में युद्ध-विरोधी प्रचार के लिए हिरासत में लिया गया, 1942 में जेल से रिहा होने के बाद वह किसानों को संगठित करने के कार्य में लग गई, 1945 में उन्हें महाराष्ट्र राज्य किसान सभा का पहला संयुक्त सचिव चुना गया था, तो आजादी से पहले 1945-47 तक वह अखिल भारतीय किसान सभा की अध्यक्ष बनीं, जो इस पद को संभालने वाली पहली महिला थीं.

गोदावरी परुलेकर ने 1960 में महाराष्ट्र राज्य के गठन तक ठाणे जिले में संयुक्त महाराष्ट्र संघर्ष का नेतृत्व किया.  
गोदावरी परुलेकर मराठी भाषा की प्रसिद्ध साहित्यकार हैं, इनकी रचित एक आत्मकथा जेव्हा माणूस जागा होतो के लिये उन्हें सन् 1972 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, 8 अक्टूबर 1996 को उन्होंने देह त्याग दी!
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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