पितरों को लेकर बहुत से लोगों में हमेशा जिज्ञासा बनी रहती है. जैसे वे कौन हैं, या वे क्यों नाराज होते हैं, उनकी नाराजगी से क्या होता है. ये पितृ दोष क्या है? यदि हमारे पितर हमसे नाराज हैं तो हमें कैसे पता होगा की वे हमसे नाराज हैं और कैसे उनको प्रसन्न करें, आदि...
पितर कौन होते हैं ?
जो इस धरती पर अपनी पूरी उम्र जी कर गया हो , दादा-दादी, माता-पिता , मामा तथा मौसी . चाचा एवं बुआ . ताऊ – ताई . आदि जो इस दुनिया से जा चुके हैं, वह पितृ देव या पूर्वज कहलाए जाते हैं.
*जानिए पितृदोष पीढ़ियों पुराना है या हाल के पीढ़ियों का
*भारतीय ज्योतिष के अनुसार, सूर्य पिता है, शनि सूर्य के पुत्र हैं, राहु दादा का कारक है और केतु नाना का कारक होता है.
*जन्मकुंडली में सूर्य और शनि का संबंध है तो जानिए यह पितृ दोष हाल की ही पीढ़ियों का पितृदोष है | यदि प्रायश्चित किया जाए तो पितर अपना गुस्सा त्याग सकते हैं |
*जन्मकुंडली में यदि सूर्य और राहु साथ हो तो समझना चाहिए कि पितृदोष कई पीढ़ियों पुराना है|*
*जन्मकुंडली में यदि सूर्य, शनि और राहु तीनो साथ हो तो यह गंभीर पितृदोष है ऐसी स्थिति में परिवार के सभी कुंडली में यह योग पाया जाता है या इसके लक्षण दिखाई देते हैं. ऐसे परिवार को कई कष्टों का सामना करना पड़ता है |
जन्म कुंडली के 12 भाव अनुसार हमारे पूर्वज पितरों की पहचान
*ज्योतिष विषय एक पराविद्या का विषय है जिसका संबंध लोक – परलोक, आत्मा – परमात्मा, जन्म – मृत्यु, पुण्य – पाप, कर्म – विकर्म, भाग्य – दुर्भाग्य, सुख-दुख वगैरे से बंधा हुआ है |
*कुंडली के प्रत्येक भाव से किसी न किसी संबंध का विचार किया जा सकता है | जैसे
*मातृ भाव से तीसरे अर्थात छठे घर, से मामा तथा मौसी का विचार करना चाहिए.
*मातृ भाव* से चैथा घर, अर्थात कुंडली के सातवें भाव से, स्त्री के अलावा, माता की माता, अर्थात नानी का विचार किया जा सकता है.
*माता के पिता अर्थात नाना* के विचार के लिए मातृ भाव से दशम भाव, अर्थात कुंडली के प्रथम भाव से विचार किया जा सकता है.
*पिता के छोटे भाई-बहन, अर्थात चाचा एवं बुआ* का विचार पितृ भाव, अर्थात दशम भाव से तीसरे घर, अर्थात कुंडली के बारहवें भाव से करें.
*पिता के पिता, अर्थात दादा* का विचार दशम भाव से दसवां घर, अर्थात कुंडली के सातवें घर से किया जाता है.
*पिता की माता, अर्थात दादी* के लिए पितृ भाव से चतुर्थ भाव, अर्थात कुंडली के प्रथम भाव से विचार करना चाहिए.
*पिता के बड़े भाई, अर्थात ताऊ* के विचार के लिए पितृ भाव से ग्यारहवां घर, अर्थात कुंडली के अष्टम भाव से विचार करना चाहिए.
*ताई* के विचार के लिए अष्टम भाव से सप्तम भाव, अर्थात कुंडली के द्वितीय भाव से विचार करना चाहिए.
*जन्मकुंडली अनुसार पितरो के स्त्री या पुरुष की पहचान और कारण सम्बंधित भाव में स्त्री / पुरुष राशि एवं भावेश के आधार पर किया जाना चाहिए | यदि परिवार के एक से ज्यादा सदस्यों की कुंडली में कोई भाव राहु , सूर्य, चंद्र, शनि से युति /दृष्टि द्वारा पीड़ित हो तो उन पूर्वजोकी शांति के लिए पितृदोष उपाय करने चाहिए |*
*कुंडली में पितृ दोष होने पर करें ये उपाय*
पितृ दोष का मतलब यह होता है कि पूर्वज अपनों से कुछ अपेक्षा रखते हैं उनकी मुक्ति नहीं हो पाई है या कोई अदृश्य शक्ति आपको परेशान करती है तो भी पितृदोष माना जाता है| कुंडली में जब सूर्य का संबंध शनि व राहु से हो जाए और इसके साथ ही कुंडली के नवें भाव का भी संबंध हो जाए तो पितृदोष उत्पन्न हो जाता है.
*शास्त्रों में पितृ दोष को दूर करने के लिए पितृ पक्ष को सर्वोत्तम समय माना जाता है. पितृ पक्ष में इन उपायों को करने से पितृदोष तो दूर होते ही हैं, पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है |*
1. पितृ दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं. इस उपायों को नियम पूर्वक करने से व्यक्ति को विशेष लाभ होता है.
2. कुंडली में पितृ दोष होने पर बरगद के पेड़ में नियमित रूप से जल चढ़ाने से लाभ होता है.
3. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में पितृ दोष होने पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए पितरों का तर्पण करें. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
4. पितृ दोष कम करने के लिए पूर्वजों के पिछले बुरे कर्मों के परिणामों को मिटाने के लिए पूजा या मंत्र जाप करें.
5. कुंडली में पितृ दोष होने पर हर अमावस्या को ब्राह्मणों को भोजन कराने से इसका प्रभाव कम होगा.
6. कुंडली में पितृ दोष होने पर अर्ध-कुंभ स्नान के दिन, अन्न, कपड़े, कंबल और अन्य बिस्तर की वस्तुओं का दान करें.
7. पितृ दोष होने पर चींटियों, पक्षियों, सड़क के कुत्तों और गायों को दूध और भोजन कराएं.
8. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृ दोष होने पर अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष में पूर्वजों की मृत्यु की तिथि पर तिल, पलंग, फूल, कच्चे चावल और गंगा जल या स्वच्छ जल का उपयोग करके पिंड दान,
9. पूजा और तर्पण करें, इससे पूर्वज संतुष्ट होंगे. पूजा के बाद अपने पितरों को शांत करने के लिए ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, फल और दान करें.
10. व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होने पर जितना संभव हो सके, बुजुर्गों, गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करें. इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है.
11. कुंडली में पितृ दोष होने पर विशेष रूप से नवरात्रि पर देवी कालिका स्तोत्र का जाप करें.
12. कुंडली में पितृ दोष होने पर नियमित रूप से उगते सूरज को जल में तिल मिलाकर गायत्री मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें.
*_सामान्य रूप से यह कहा जाता है कि इस जन्म में पितृदोष की शांति करवाने पर, अगले जन्म में पितृ दोष नहीं रहता. लेकिन यह भी ध्यान रखना पड़ेगा कि पितृदोष की शांति के साथ साथ इस जन्म में अपने बुजुर्गों का सम्मान और सेवा करना आवश्यक है. पितृदोष केवल पूजा पाठ से ही शांत नहीं होता. हमें अपने जीवन में बुजुर्गों के प्रति सम्मान और अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन करना आवश्यक है._
*आजकल जो लोग अपने माता पिता की सेवा नहीं करते, उनको तिरस्कृत और अपमानित करते हैं, उनके लिए अगले जन्म में पितृदोष होना सुनिश्चित है.
Astro nirmal
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