जब कुंडली में लग्न भाव, चौथे भाव,सातवें भाव, आठवें और दसवें भाव में मंगल स्थित होता है तब कुंडली में मंगल दोष बनता है. मंगल दोष से व्यक्ति को विवाह संबंधी परेशानियां, रक्त संबंधी बीमारियों और भूमि-भवन संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं.
मंगल दोष के लक्षण
मंगल की स्थिति खराब होने के कारण जातक को अधिक गुस्सा आता है. ...
जब मंगल कुंडली में द्वादश भाव में होता है तो व्यक्ति की विवाह में कई तरह की मुश्किल आती हैं.
मंगल दोष के कारण संतान प्राप्ति में दिक्कत आने लगती हैं.
कुंडली में मंगल दोष होने से बड़े भाई से किसी न किसी कारण लड़ाई होती रहती है
मंगल ग्रह का स्वामी कौन है?
भारतीय ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह मेष राशि एवं वृश्चिक राशि का स्वामी होता है. मंगल मकर राशि में उच्च भाव में तथा कर्क राशि में नीच भाव में कहलाता है. सूर्य, चंद्र एवं बृहस्पति इसके सखा या शुभकारक ग्रह कहलाते हैं एवं बुध इसका विरोधी ग्रह कहलाता है.
मंगल ग्रह के लिए कौन सा घर अच्छा है?
3. मंगल ग्रह के लिए कौन सा घर अच्छा है? मंगल दसवें घर में या मकर राशि में सबसे अच्छा है. इन प्लेसमेंट में किसी व्यक्ति को वह बनने की शक्ति है जो वह बनना चाहता है, और इस मंगल प्लेसमेंट को उन सभी लोगों द्वारा प्रतिष्ठित किया जाना चाहिए जो स्वयं और दुनिया के लिए अच्छा करना चाहते हैं क्योंकि यह होगा.
मंगल का शुभ अंक क्या है?
मंगल नाम का स्वामी ग्रह सूर्य है एवं इस नाम का शुभ अंक 1 होता है.
मंगल ग्रह के शत्रु ग्रह कौन कौन से हैं?
मंगल के मित्र सूर्य, गुरु और शत्रु बुध, सम शुक्र-शनि हैं.
मंगल दोष कितने प्रकार के होते हैं?
ये 3 प्रकार हैं- सामान्य मांगलिक, द्विबल मांगलिक और त्रिबल मांगलिक.
मंगल नीच का कब होता है?
कर्क को मंगल की नीच राशि माना जाता है.
प्रथम भाव में मंगल: यदि मंगल लग्न से पहला घर में बैठा है तो मुख्य रूप से व्यक्ति के व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए व्यक्ति क्षणिक क्रोधित होने वाला हो सकता है. 4th हाउस मुख्य रूप से व्यक्ति के घर, वाहनों का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए घर और वाहन से जुड़ी समस्याओं की संभावना है. 7 वां घर वैवाहिक जीवन, जीवनसाथी और साझेदारी में व्यवसाय का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए विवाहित जीवन में विघटन की संभावना है. 8 वां घर मुख्य रूप से मृत्यु का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए अचानक दुर्घटना की संभावना है.
चौथे भाव में मंगल: यदि कुंडली के 4 वें घर में मंगल को रखा जाता है तो यह 4 वें, 7 वें, 10 वें और 11 वें घर को प्रभावित करेगा. 10 वां घर मुख्य रूप से करियर, पिता, नींद का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए करियर में बार-बार बदलाव / गड़बड़ी, नींद की बीमारी, पिता के साथ समस्या या पिता की जल्दी मृत्यु आदि की संभावना होती है. 11 वां घर जीवन में मौद्रिक लाभ को इंगित करता है, इसलिए चोरी, डकैती आदि की संभावना बनी रहती है.
सातवें घर में मंगल: कुंडली के 7 वें घर में मंगल होता है तो यह 7 वें, 10 वें, 1 और 2 वें घर को प्रभावित करता है. दूसरा घर वह घर है जो व्यक्ति के धन के बारे में और कुटुंब के बारे में विचार देता है. सातवां भाव व्यापार में साझेदारी और वैवाहिक जीवन को दर्शाता है इसलिए पत्नी के स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.
आठवें घर में मंगल : कुंडली में मंगल का अष्टम भाव में विराजमान होना, 8 वें, 11 वें, दूसरे और तीसरे घर को प्रभावित करता है. तीसरा घर जातक के भाइयों और बहनों, मौखिक संचार कौशल, व्यक्ति की आवाज, व्यक्ति की उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करता है. इसलिए भाई-बहनों के बीच तनाव पैदा कर सकता है. जातक बातचीत में उग्र और अप्रिय बोल सकता है . इससे दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है और असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है.
बारहवें घर में मंगल : 12 वें घर में मंगल स्थित होने से यह 12 वें, 3 वें, 6 वें और 7 वें घर को प्रभावित करता है. 12 वां घर व्यक्ति के असाधारण स्वभाव को दर्शाता है. इसलिए, व्यक्ति अधिक खर्च प्रकृति का हो सकता है. 6 वाँ घर रोगों का संकेत देता है
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कुंडली में सूर्य, गुरु और बृहस्पति एक साथ होने पर व्यक्ति बहुत भाग्यशाली होता
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