जन्म कुंडली में राहु की दशा आने पर सब काम क्यों खराब होने लगते?

जन्म कुंडली में राहु की दशा आने पर सब काम क्यों खराब होने लगते?

प्रेषित समय :20:33:31 PM / Wed, Aug 9th, 2023

जब राहु की दशा आती है तो जातक क्यों परेशान हो जाता है. कभी भी आपको किसी ग्रह को छेड़ने की कोई जरूरत नहीं है. अगर आपके कुंडली में ग्रह कहीं भी बैठा कैसे भी बैठा है तो आपको कुछ नहीं करना है.उस समय सिर्फ आप अपने लगन को मजबूत कीजिए और अपने पंचम भाव को और अपने भाग्य भाव को हमेशा ही मजबूत कीजिए . लेकिन जब भी महादशा आती है जिस ग्रह की भी आती है. तो उस ग्रह पर आप पूरा पूरा ध्यान दीजिए.

जब  भी राहु की  दशा आती है तो जातक क्यों वह सब कर बैठता है जो उसने कभी सोचा भी नहीं होता है.  लेकिन होता वह सब कुछ है उसके साथ में, क्योंकि यह सब जो भी गलत कार्य करता है जो भी करवाता है वह राहु करवाता है. क्योंकि राहु की प्रवृत्ति ही ऐसी है.
वह  एक राक्षस ग्रह है उसको ग्रह भी हम नहीं कह सकते हैं क्योंकि वह ग्रह है ही नहीं लेकिन राहु एक राक्षस प्रवृत्ति का है .
राहु एक राक्षस का धड़ है,
राहु का काम है जिस घर में बैठेगा उसी के अनुसार कार्य करेगा क्योंकि राहु अपने दिमाग से नहीं चलता है. उसके पास दिमाग नहीं होता है.
तो आप खुद समझ सकते हैं जब दिमाग नहीं होगा तो उस समय व्यक्ति की क्या स्थिति होती है.
इस तरह का प्रवृत्ति है जिस घर में बैठेगा उस घर को भी खराब कर देगा . खासकर राहु जब पांचवें भाव में बैठा होता है और महादशा में चलता है तो बहुत ज्यादा नकारात्मक व्यक्ति को कर देता है .
सबसे ज्यादा परेशान राहु पांचवे भाव में और बारहवें भाव में बैठा हुआ राहु सबसे ज्यादा व्यक्ति को गलत रास्ते पर लेकर जाता है.
क्योंकि राहु सूर्य, चंद्रमा ,को भी ग्रहण लगा देता है. उनको भी अपना ग्रास बना देता है. तो आप खुद समझ सकते हैं कि राहु की दशा जब आती है तो वह सूर्य देव भगवान को नहीं छोड़ते हैं. उन पर भी ग्रहण लगा देते हैं. तो हम तो मामूली से इंसान हैं.
बस करना क्या है, हमें कभी भी राहु को अच्छा नहीं बनाना है.
जब भी राहु की दशा आई तो आपको राहु का कुछ नहीं करना होता है.
जितना हो सके राहु के आप उतारे करवाइए राहु का दान कीजिए.
राहु के चीजों को आप जल प्रवाह कीजिए .
लिखने का मतलब और कहने का मतलब है कि जितना हो सके अपने ऊपर से उतारा करके आपको राहु की चीजों का दान धर्म करना है.
राहु की कोई पूजा नहीं करनी है. अगर आप राहु की पूजा करते हैं तो वह आपको नकारात्मक ही फल देगा.
आपको अपने घर पर तो बिल्कुल ही पूजा मंत्र जाप नहीं करना है.
आप किसी ब्राह्मण द्वारा मंदिर में जप करवा सकते हैं. घर के अंदर करते हैं राहु की पूजा पाठ तो ठीक नहीं होगा.
राहु की महादशा में आप जितना हो सके उस समय पर मां दुर्गा की पूजा कीजिए और विष्णु जी की पूजा कीजिए. 
अगर आपने मां भगवती का मंत्र जाप कर लिए विष्णु भगवान के मंत्र जाप कर लिए तो आपके मन में कभी किसी भी प्रकार का भटकाव नहीं आएगा .
नहीं तो राहु आपको इस तरह से भटकाव लाएगा कि आपको पता भी नहीं चलेगा.
क्योंकि यह एक छाया ग्रह है जिस तरह से हमें अपनी परछाई में हमको खुद ही नजर आता है .
इसी तरह राहु जिस ग्रह के साथ बैठेगा उसी ग्रह की तरह परछाई बनकर के चलता है और नकारात्मक चीजें जो है छल कपट से व्यक्ति को देता रहता है.
लेकिन व्यक्ति उस समय कुछ समझता नहीं है चाहे वह धन के पीछे भागे ,चाहे वह स्त्री के पीछे भागे, स्त्री पुरुष के पीछे भागे, कहने का मतलब है जब राहु की दशा आती है तो व्यक्ति हमेशा गलत रास्ते पर ही जाता है.
और गलत रास्ते पर जाकर भटक  जाता है और उसी के साथ में परेशानियां शुरू हो जाती है.
क्योंकि राहु की जो महादशा होती है 18 साल की दशा होती है, उसके बाद में गुरु की दशा शुरू हो जाती है.
लेकिन गुरु की दशा आने पर काफी कुछ व्यक्ति जो है अध्यात्म से जुड़ना फिर शुरू कर देता है .
कहते हैं ना कि जब चोट लगती है तो तभी जाकर के हमें होश आता है.
फिर हम संभल कर चलते हैं तो राहु वही चोट देता है वही दर्द देता है, और गुरु की दशा में जब हम समझते हैं तो बहुत कुछ चीजें खराब हो जाती है .
चाहे वह हमारा मान सम्मान हो, धन तो फिर भी वापस आ जाता है , धन दौलत अगर चली गई तो वह वापस आ जाती है लेकिन जहां मान सम्मान चला जाता है वह फिर कभी भी वापस नहीं आता, क्योंकि बहुत बड़ा लांछन जो है वही राहु देता है.
हमेशा आपको ध्यान रखना है राहु की दशा जब भी शुरू हो उस समय आप अपने इष्ट देवी देवताओं की पूजा करें.
और राहु को छुड़ाने के लिए आप सिर्फ उतारे करें अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाएं .
उतारे भी आपको कैसे करने किस तरह से करने वह कुंडली के अनुसार ही उतारे किए जाते हैं.
क्योंकि कुछ उपाय ऐसे होते है जो उतारे करने होते हैं.
कुछ उपाय ऐसे होते हैं जो आपको जल प्रवाह करना होता है.
कुछ उपाय ऐसे होते हैं जो आपको किसी को दान करना होता है.
तो उपाय हर तरह के होते हैं बिना कुंडली के आप राहु के किसी भी प्रकार का कोई उपाय ना करें.
बस जितना हो सके विष्णु भगवान की पूजा आप कर सकते हैं. ईस्ट देवी देवताओं की पूजा आप कर सकते हैं और बाकी जो भी भगवान आपको प्यारे लगते हैं जिस भगवान से भी आप प्यार करते हैं उस समय आप उस भगवान के शरण में चले जायें ओर अपने आप को उस ईष्ट देव को सौंप दीजिए. फिर आप देखेंगे राहु आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता.
नारायण भगवान की पूजा पाठ मंत्र जप करें.
नाभी पर हल्दी का तिलक लगाएं.
ॐ नमो: भगवते वासुदेवाय मंत्र जप करें, यह सभी मंत्रों में से एक है और वैष्णव सम्प्रदाय में सबसे महत्वपूर्ण मंत्र है.
यह मंत्र विष्णु और भगवान कृष्ण दोनों को समर्पित है.
ऊँ नमो: भगवते वासुदेवाय

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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