वर और वधु की कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति के आधार पर गुण मिलान किया जाता है. इस प्रक्रिया को “अष्टकूट मिलान” कहा जाता है. अष्ट यानि आठ और कूट यानि पहलू. अर्थात ऐसी प्रक्रिया जिससे गुणों के आठ पहलुओं को दर्शाया जाता है. वे आठ पहलू इस प्रकार हैं.
वर्ण/जाति
इससे लड़के और लड़की की आध्यात्मिक अनुकूलता पता चलती है. वर्ण व्यवस्था में चार श्रेणियां होती हैं – ब्राह्मण (उच्चतम), क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र (निम्न).
वश्य
इससे आपसी आकर्षण और विवाहित जोड़ों के बीच शक्ति समीकरण की गणना की जाती है. एक व्यक्ति 5 प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है – मानव, वनचर (जंगली जानवर जैसे शेर आदि), चतुष्पाद (छोटे जानवर जैसे हिरण आदि), जलचर (पानी में रहने वाले जीव), कीट (कीड़े).
तारा/दीना
यह गुण व्यक्ति के जन्म नक्षत्र की अनुकूलता को दर्शाता है. यह भाग्य से भी संबंधित होता है. जन्म कुंडली में 27 जन्म सितारे (नक्षत्र) होते हैं.
योनि
इस गुण से लड़के और लड़की के बीच अंतर्गत, यौन अनुकूलता और आपसी प्रेम मापा जाता है. योनि को 14 जानवरों में वर्गीकृत किया गया है – घोड़े, हाथी, भेड़, सांप, कुत्ता, बिल्ली, चूहा, गाय, भैंस, बाघ, खरगोश/हिरण, बंदर, शेर, नेवला.
मैत्री/रस्याधिपति
यह गुण स्नेह और प्राकृतिक मित्रता को दर्शाता है. यह वर-वधू के बीच चंद्रमा राशि की अनुकूलता का प्रतिनिधित्व करता है.
गण
यह व्यक्ति के व्यवहार और स्वभाव से संबंधित होता है. जन्म नक्षत्रों को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है- देव (यानी कि ईश्वर यह सात्विक गुण का संकेत है), मानव ( यह राजसिक गुण का संकेत है) और राक्षस (दानव तामसिक गुण का संकेत है).
राशि या भकूट
यह भावनात्मक अनुकूलता और प्रेम को दर्शाता है. लड़के और लड़की की जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति की तुलना की जाती है.
नाड़ी
यह स्वास्थ्य और जीन (डी.एन.ए) से संबंधित गुण है. इसे तीन भागों में बांटा गया है- आदि नाडी, मध्य नाडी और अंत्य नाडी. आम भाषा में वात, पित्त और कफ.
क्या होता है गुण मिलान का महत्व ?
अष्टकूट में कुल 36 गुण होते हैं. विवाह से पूर्व वर और वधू की कुण्डली में गुणों का मिलान किया जाता है. विवाह ज्योतिष में गुण मिलान का महत्व अत्यधिक आवश्यक माना जाता है. यदि अष्टकूट मिलन का प्राप्त गुना अंक 18 से कम हो तो विवाह संभव नहीं होता. यदि 18 से 24 के बीच हो तो विवाह स्वीकार्य होता है. यदि 24 से 32 गुण मिलते हैं तो यह बहुत अच्छा योग होता है. यह सफल वैवाहिक जीवन का संकेत होता है. और 32 से 36 गुणों का मिलना उत्कृष्ट माना जाता है. यह विवाह के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
कुंडली मिलान की आवश्यकता क्यों पड़ती है ?
एक खुशहाल और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए अष्टकूट मिलान में 36 में से कम से कम 18 गुणों का मेल होना आव्यशक होता है. इन गुणों के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण पहलू होते हैं. जैसे – पति और पत्नी के बीच मानसिक अनुकूलता, रिश्ते का स्थायित्व, विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता आदि. पति पत्नी का एक-दूसरे के प्रति दृष्टिकोण, दोनों का स्वास्थ्य, यौन अनुकूलता आदि अन्य पहलू भी महत्वपूर्ण होते हैं. अतः विवाह ज्योतिष में कुंडली मिलान की आवश्यकता होती है.
अंकों की गणना कैसे होती है ?
गुण मिलान आठ पहलुओं का मिलान है, जो होने वाले पति-पत्नी की अनुकूलता निर्धारित करता है. यह ज्योतिष शास्त्र की एक जटिल विधि है. कुंडली में नाम या जन्मतिथि के आधार पर जब गुण मिलान किया जाता है तब प्रत्येक गुण को अंक दिए जाते हैं. पहले गुण को 1 अंक दिया जाता है, दूसरे गुण के 2 अंक होते हैं और इसी तरह कुल 36 अंक होते हैं.
अंकों की गणना को इस तरह से समझिये
वर्ण – 1
वश्य – 2
तारा/दीना – 3
योनि – 4
मैत्री/रस्याधिपति – 5
गण – 6
राशि या भकूट – 7
नाड़ी – 8
कुल – 36 गुण
जानें क्या है मांगलिक दोष ?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में मंगल का प्रभाव अधिक हो, तो यह मांगलिक दोष को दर्शाता है. मंगल ग्रह की उपस्थिति जातक को मंगला या मंगली बना देती है. और मान्यता है कि उस लड़के या लड़की का दांपत्य जीवन अति कष्टपूर्ण होगा. उसे वैवाहिक सुख प्राप्त नहीं होगा. यही कारण है कि मांगलिक दोष के चलते कई लोगों के विवाह में विलंब होता है. परंतु ज्योतिष शास्त्र में मंगल दोष निवारण के उपाय बताये गये हैं. इन उपायों का पालन करने से मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है.
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Anand Jalan
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