लड़कियां कमज़ोर नहीं
कविता बिष्ट
कक्षा - 11वीं
मेगड़ी स्टेट, उत्तराखंड
लड़कियों को क्यों समझते हो कम?
एक बार देख तो लो उनका दम,
ज़रा उन्हें भी खुल कर जीने दो,
कुछ कर दिखाने का अवसर दो,
लड़कियों को आगे बढ़ने नहीं देता,
समाज क्यों उन्हें जीने नहीं देता?
पैदा होते ही मार डालते हो,
भला ऐसा क्यों कर डालते हो?
पीरियड्स पर भेदभाव करना,
क्या यही है नारी को पूजना?
दहेज़ मांग कर भी सुकून नहीं मिलता,
हर पल उन्हें सताया है जाता,
भले ही लड़कियों के पैर परंपराओं से बंधे हैं,
मगर वह इन्हें बखूबी तोड़ना जानती है,
लड़कियां किसी से कम नहीं, कमज़ोर नहीं,
सारी दुनिया को वह बताना जानती है।
पेड़ का दर्द
लीलावती
कक्षा - 9वीं
बैसानी, उत्तराखंड
मैं हूँ पेड़ क्यों मुझे काटते हो?
टुकड़ों टुकड़ों में क्यों बांटते हो?
तुम्हारी तरह दर्द मुझे भी होता है
तुम्हारी तरह रोना मुझे भी आता है
मैं तुम्हारा जीवनदाता हूँ
फल फूल की खुशियां दे जाता हूँ
मुझे टुकड़ों में मत बांटों
मैं हूँ पेड़ मुझे मत काटो
मुझसे है मनुष्य का गहरा रिश्ता
कटता हूँ तो दर्द है रिसता
अपनी लालसा के लिए मुझे मत मारो
मैं पेड़ हूँ मुझे मत काटो
(चरखा फीचर)