अभिमनोज. राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम में मतदान हो जाने के बाद अब तेलंगाना में 30 नवंबर 2023 को 119 सीटों के लिए मतदान होगा और जैसे-जैसे मतदान का दिन करीब आ रहा है, वैसे-वैसे बीजेपी, कांग्रेस और बीआरएस ने आक्रामक प्रचार शुरू कर दिया है.
सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे पर तीखे शब्दबाण चला रहे हैं. इस बार तेलंगाना विधानसभा चुनाव में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा प्रमुख बनता जा रहा है, लिहाजा बड़ा सवाल यही है कि- मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा तेलंगाना में कितना असरदार होगा?
याद रहे, गृहमंत्री अमित शाह चुनाव प्रचार के दौरान साफ कह चुके हैं कि- यदि बीजेपी तेलंगाना की सत्ता में आती है, तो मुस्लिम समुदाय के लिए जो 4 प्रतिशत आरक्षण है उसको खत्म कर देगी और इसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के बीच वितरित करेगी.
खबरों की मानें तो अमित शाह का कहना है कि- तेलंगाना देशभर में एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां मुसलमानों को धार्मिक आरक्षण देने का काम हुआ है, बीजेपी ने तय किया है कि हम तेलंगाना में गैरसंवैधानिक आरक्षण को खत्म करके ओबीसी आरक्षण बढ़ाएंगे और एससी-एसटी का भी न्यायिक आरक्षण होगा.
इसके बाद अब उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी ‘मुस्लिम आरक्षण’ को संविधान विरोधी करार दिया है और कहा है कि- किसी भी स्थिति में इसे लागू नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि.... तेलंगाना में मुस्लिम आरक्षण डॉ. बीआर अंबेडकर की ओर से बनाए गए संविधान का अपमान है.
दरअसल, यह मुद्दा सभी दलों की अपने-अपने तरीके से अपना वोट बैंक बढ़ाने और बचाने की राजनीति है, इसलिए देखना दिलचस्प होगा कि- इसका चुनाव के नतीजों पर कितना असर पड़ता है?
तेलंगाना में अमित शाह ने कहा, भाजपा मुस्लिम आरक्षण खत्म करेगी, ओबीसी, एससी-एसटी कोटा बढ़ाएगे
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