#मुख्यमंत्री फैसले में देरी बता रही है कि.... शिवराज, वसुंधरा और रमन सिंह का सीएम बनना मुश्किल है?

#मुख्यमंत्री फैसले में देरी बता रही है कि.... शिवराज, वसुंधरा और रमन सिंह का सीएम बनना मुश्किल है?

प्रेषित समय :22:10:48 PM / Fri, Dec 8th, 2023
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प्रदीप द्विवेदी. राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत के बावजूद मुख्यमंत्री के फैसले में देरी बता रही है कि.... शिवराज सिंह, वसुंधरा राजे और डॉ रमन सिंह का अपने-अपने राज्य में मुख्यमंत्री बनना मुश्किल है?  

खबर है कि.... बीजेपी ने तीनों राज्यों के लिए पर्यवेक्षकों के नाम का ऐलान कर दिया है, जिसके तहत- राजस्थान के पर्यवेक्षक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय और महासचिव विनोद तावड़े बनाए गए हैं, मध्यप्रदेश के लिए हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, राज्यसभा सांसद के. लक्ष्मण और रांची की मेयर व राष्ट्रीय सचिव आशा लकड़ा को जिम्मेदारी दी गई है, तो छत्तीसगढ़ के लिए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सर्बानंद सोनोवाल और राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम को पर्यवेक्षक बनाया गया है.
यदि शिवराज सिंह, वसुंधरा राजे और डॉ रमन सिंह को मुख्यमंत्री बनाना होता तो अब तक शपथ ग्रहण समारोह हो चुका होता, लेकिन ऐसा नहीं है?
इस देरी के बाद भी यदि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह, राजस्थान में वसुंधरा राजे और छत्तीसगढ़ में डॉ रमन सिंह मुख्यमंत्री बन जाते हैं, तो यह पीएम नरेंद्र मोदी की पॉलिटिकल इमेज पर सवालिया निशान लगाएगा?
और.... यदि नहीं बनाते हैं, तो बड़ा सवाल 2024 के लोकसभा चुनाव का है?
इस वक्त तो- राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को साफ बहुमत मिलने के बावजूद तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लेकर रहस्य बरकरार है और इसीलिए बड़ा सवाल है कि.... क्या चुनाव के गुजरात मॉडल की बोनसाई पॉलिटिक्स के शिकार बनेंगे- पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान और डॉ. रमन सिंह?
यह सवाल इसलिए भी कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान, इन तीनों ही राज्यों में बीजेपी ने सीएम फेस के बगैर चुनाव लड़ा था?
वर्ष 2014 के बाद से ही इन पूर्व मुख्यमंत्रियों के सियासी कद घटाने के प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रयास शुरू हो गए थे, यह बात अलग है कि उनके सियासी कद कम होने के बजाए और बढ़ गए हैं, उनके विरोधी सियासी बौने साबित हो रहे हैं!
पीएम नरेंद्र मोदी अपने समय के अपने बराबरी के नेताओं को पसंद नहीं करते हैं और समय आने पर उन्हें सियासी किनारे कर देते हैं, इस वक्त ज्यादातर ऐसे नेता सियासी संन्यास आश्रम में हैं, केवल शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे, डॉ रमन सिंह जैसे कुछ नेता ही बचे हैं?
वसुंधरा राजे दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रही हैं, डॉ रमन सिंह तीन बार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे हैं, तो शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के चौथी बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन अब मुश्किल लग रहा है!
यदि बोनसाई पॉलिटिक्स के ये तीनों सियासी शिकार बनते हैं, तो 2024 का लोकसभा चुनाव यक्ष-प्रश्न बन जाएगा, शायद यही वजह है कि इन तीनों को सियासी किनारे करने में राजनीतिक उलझन गहराई हुई है?
सियासी सयानों का मानना है कि..... शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे और डॉ रमन सिंह का सियासी भविष्य दांव पर है, यदि इनके नेतृत्व को नकार दिया गया, तो इनके सियासी भविष्य पर पूर्ण विराम लग जाएगा!
लिहाजा.... यह देखना दिलचस्प होगा कि इन तीनों को सियासी किनारे लगा कर मोदी टीम इन तीन राज्यों में कितनी कामयाबी हासिल करती है?
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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