2016 में बंगाल की खाड़ी के ऊपर लापता हुए भारतीय वायुसेना के एएन-32 विमान का मिला मलबा

2016 में बंगाल की खाड़ी के ऊपर लापता हुए भारतीय वायुसेना के एएन-32 विमान का मिला मलबा

प्रेषित समय :09:32:18 AM / Sat, Jan 13th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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नई दिल्ली. 2016 में बंगाल की खाड़ी के ऊपर लापता हुए भारतीय वायुसेना के एएन-32 विमान का मलबा हाल ही में चेन्नई तट से 310 किलोमीटर दूर खोजा गया है. लापता हुए विमान में 29 कर्मी सवार थे. तस्वीरों में चेन्नई तट से लगभग 310 किलोमीटर दूर समुद्र तल पर एक दुर्घटनाग्रस्त विमान का मलबा कैद हुआ था. तस्वीरों की जांच की गई तो उन्हें एएन-32 विमान के मलबे के अनुरूप पाया गया. फिलहाल, विमान का मलबा उस स्थान पर मिला है जहां आज तक किसी अन्य लापता विमान की रिपोर्ट का कोई इतिहास दर्ज नहीं है.

रक्षा मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि समुद्र में 3400 मीटर की गहराई में मलबा मिला है. एएन-32 विमान का मलबा उसके आखिरी बार संपर्क टूटने वाली जगह पर मिला है. भारत सरकार के अर्थ साइंसेज मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नॉलजी ने उस इलाके में एक ऑटोनोमस अंडरवॉटर व्हीकल को हाल ही में लापता विमान की खोज के लिए गहरे समुद्र में लॉन्च किया था. तकरीबन 3400 मीटर गहराई में मल्टी बीम सोनार, सिंथेटिक अपर्चर सोनार और हाई रिजॉल्यूशन फोटोग्राफी का इस्तेमाल इस खोज के लिए किया गया.

गौरतलब है कि, 22 जुलाई 2016 की सुबह वायुसेना के एंटोनोव एएन-32 विमान ने चेन्नई के तांबरम वायुसेना स्टेशन से उड़ान भरी था. विमान में चालक दल सहित 29 लोग सवार थे, जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पोर्ट ब्लेयर जा रहे थे. विमान ने सुबह करीब 8 बजे चेन्नई से उड़ान भरी थी और इसे पोर्ट ब्लेयर में भारतीय नौसैनिक हवाई स्टेशन आईएनएस उत्क्रोश पर उतरना था. उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद इस विमान का संपर्क टूट गया और वो रडार से गायब हो गया. उस वक्त ये विमान बंगाल की खाड़ी के ऊपर था. 

विमान के लापता होने के बाद एयरफोर्स और नेवी ने समुद्र में लापता विमान की खोज के लिए भारत का सबसे बड़ा खोज और बचाव अभियान शुरू कर दिया था. 15 सितंबर 2016 को भारतीय वायुसेना ने इस हादसे के बाद आखिरकार हार मान ली. एएन-32 पर सवार 29 लोगों के परिवार के सदस्यों को लिखते हुए वायुसेना ने कहा कि वो लापता विमान का पता लगाने में विफल रही है. उसके पास विमान में सवार लोगों को मृत घोषित घोषित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.