नई दिल्ली. हिंदू संगठन द्वारा महाराष्ट्र के यवतमाल और छत्तीसगढ़ के रायपुर में होने वाली रैलियों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षक से दोनों रैलियों की सीसीटीवी कैमरों के जरिए वीडियो रिकॉर्डिंग करने का निर्देश दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रैलियों के दौरान नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित हो सके.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने हिंदू संगठन की रैली पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि जिन पर नफरती भाषण देने के आरोप लगे हैं, वह कोर्ट में नहीं हैं. ऐसे में वह रैलियों पर रोक नहीं लगा सकते. हालांकि दोनों जिलों के डीएम और एसपी को निर्देश दिए जाते हैं कि वह यह सुनिश्चित करें कि रैली स्थलों पर रिकॉर्डिंग सुविधाओं वाले सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं ताकि अगर कुछ होता है तो हेट स्पीच देने वालों की पहचान की जा सके.
रैलियों के आयोजन पर रोक की मांग की गई थी
महाराष्ट्र के यवतमाल में हिंदू जनजागृति समिति संगठन और छत्तीसगढ़ के रायपुर में भाजपा विधायक टी राजा सिंह की रैलियां होनी हैं. इन रैलियों में हिंदूवादी नेता और भाजपा विधायक टी राजा सिंह रैलियों को संबोधित कर सकते हैं. भाजपा विधायक टी राजा सिंह पर पहले भी रैलियों के दौरान नफरत भरे भाषण देने के आरोप लगे हैं. इन रैलियों के खिलाफ शाहीन अब्दुल्ला नामक एक व्यक्ति ने याचिका दायर कर इनके आयोजन पर रोक लगाने की मांग की थी. याचिकाकर्ता की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए.
याचिकाकर्ता ने याचिका में आशंका जताई थी कि इन रैलियों में नफरत भरे भाषण दिए जा सकते हैं. यवतमाल में 18 जनवरी को रैली होनी है. वहीं रायपुर में 19-25 जनवरी को रैली होनी प्रस्तावित है. सुप्रीम कोर्ट ने रोक से इनकार करते हुए कहा कि कोर्ट पहले ही इस तरह की घटनाओं के लिए दिशा-निर्देश जारी कर चुका है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सुप्रीम कोर्ट पहुंचा उद्धव गुट, स्पीकर के फैसले के खिलाफ अपील की दायर
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