पलपल संवाददाता, इंदौर/धार. यूपी के काशी स्थित ज्ञानवापी की तरह धार की भोजशाला के सर्वे की कराने वाली याचिका पर आज इंदौर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. खंडपीठ के समक्ष 1902 में हुए सर्वे को लेकर बहस हुई. हिंदू पक्ष की ओर से मांग की गई है कि मंदिर परिसर का दोबारा सर्वे कराया जाए. कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है. वकील का कहना है कि कोर्ट ने इसे अयोध्या जैसा मामला बताया है.
भोजशाला के मामले में 7 जनहित याचिकाएं दायर हैं. मुख्य याचिका हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की है. इसमें मुस्लिमों को भोजशाला में नमाज पढऩे से तुरंत रोकने व हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार देने की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं के एडवोकेट विनय जोशी ने बताया कि मामले में जल्दी सुनवाई करने के लिए एक आवेदन लगाया गया था. पिछली सुनवाई में फरवरी की तारीख मिली थी. मामले में शासन सहित सभी पक्षों की तरफ से जवाब दे दिया गया है. आज मंदिर के सर्वे पर बहस हुई. अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि हमारी मांग आर्कोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से एक साइंटिफिक सर्वे करवाने की है. इसके लिए आवेदन दिया है. सर्वे से ये साफ होगा कि भोजशाला का धार्मिक कैरेक्टर क्या है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान फिलहाल सर्वे को लेकर कोई आदेश नहीं दिया है. भोजशाला से संबंधित जबलपुर कोर्ट में लंबित याचिकाओं की जानकारी कोर्ट ने मांगी है. उसके बाद ही सर्वे को लेकर कोर्ट से डायरेक्शन मिलने की संभावना है. अधिवक्ता का कहना है कि हाईकोर्ट ने कहा है कि ये अयोध्या जैसा मामला है. हमने कलर्ड फोटोग्राफ भी कोर्ट में पेश किए हैं. जिससे साफ है कि वहां पिलर पर संस्कृत के श्लोक लिखे हुए हैं. सरस्वती माता वाग्देवी का मंदिर है. मूर्ति लंदन के म्यूजियम में है. 1902-03 की एएसआई की एक रिपोर्ट है जिसमें वहां मंदिर का उल्लेख है. वहीं 2003 के एएसआई के एक ऑर्डर में पूजा और नमाज दोनों की वहां अनुमति दे दी गई.
मंदिर को मस्जिद में बदल दिया गया था-
जिला प्रशासन की वेबसाइट के अनुसार भोजशाला राजा भोज ने बनवाई थी. जो एक यूनिवर्सिटी हुआ करती थी. यहां वाग्देवी देवी की प्रतिमा स्थापित की थी. दूर-दराज से स्टूडेंट्स पढऩे आते थे. मुस्लिम शासक ने इसे मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था. इसके अवशेष अभी भी प्रसिद्ध कमाल मौलाना मस्जिद में देखे जा सकते हैं. यह उसी परिसर में स्थित है जबकि देवी प्रतिमा लंदन के म्यूजियम में रखी हुई है.
मंगलवार को पूजा व शुक्रवार को नमाज-
भोजशाला में मंगलवार को हिंदू पक्ष को पूजा-अर्चना की अनुमति है. शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष को नमाज पढऩे के लिए दोपहर 1 से 3 बजे तक प्रवेश दिया जाता है. दोनों पक्षों को नि:शुल्क प्रवेश मिलता है. बाकी दिनों में 1 रुपए का टिकट लगता है. इसके अलावा वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा के लिए हिंदू पक्ष को पूरे दिन पूजा और हवन करने की अनुमति है.
शुक्रवार को बसंत पंचमी आने पर बनती है विवाद की स्थिति-
वर्ष 2006, 2012 व 2016 में जब भी शुक्रवार को वसंत पंचमी आई, उस वक्त विवाद की स्थिति बनी. वसंत पंचमी पर हिंदू पक्ष को पूजा जबकि शुक्रवार होने से मुस्लिमों को नमाज की अनुमति भी है. ऐसे में वसंत पंचमी शुक्रवार को आने पर समझाइश के बीच पूजा और नमाज दोनों कराए जाते हैं. अगली बार ऐसी स्थिति 2026 में बन सकती है.
हिन्दू पक्ष का यह है कहना-
गौरतलब है कि भोजशाला विवाद सदियों पुराना है, हिंदू पक्ष का कहना है कि यह सरस्वती देवी का मंदिर है. सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई थी. भोजशाला में आज भी देवी-देवताओं के चित्र व संस्कृत में श्लोक लिखे हुए हैं. अंग्रेज भोजशाला में लगी वाग्देवी की प्रतिमा को लंदन ले गए थे. याचिका में कहा है कि भोजशाला हिंदुओं के लिए उपासना स्थली है. मुसलमानों द्वारा नमाज के नाम पर भोजशाला के भीतर अवशेष मिटाने का काम किया जा रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा में सनी लियोन का प्रवेश पत्र जारी, एडमिट कार्ड वायरल
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