समाज में अपनी अज्ञानता के कारण स्वयं भ्रमित न हों दूसरों को भी भ्रमित न करें..]
*विपाशैरावतीतीरे शुतुद्रयाश्च त्रिपुष्करे._*
*_विवाहादिशुभे नेष्टं होलिकाप्राग्दिनाष्टकम्.._*
(मुहुर्तचिन्तामणि श्लोक सं. 40)
*_ऐरावत्यां विपाशायां शतद्रौ पुष्करत्रये._*
*_होलिका प्राग्दिनान्यष्टौ विवाहादौ शुभे त्यजेत्._*
मुहुर्तगणपति श्लोक सं. 204)
*_विपाशा (व्यास), इरावती (रावी), शुतुद्री (सतलज) नदियों के निकटवर्ती दोनों ओर स्थित नगर, ग्राम, क्षेत्र में तथा त्रिपुष्कर (पुष्कर) क्षेत्र में होलाष्टक दोष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा (होलिका दहन) तिथि के पहले के आठ दिन में विवाह, यज्ञोपवीत आदि शुभ कार्य वर्जित हैं. इस प्रकार लगभग सम्पूर्ण पंजाब प्रान्त में हिमांचल प्रदेश का कुछ भू-भाग तथा राजस्थान में अजमेर (पुष्कर) के समीपवर्ती आसपास के स्थानों (सम्पूर्ण राजस्थान नहीं) में ही विशेष सावधानी के लिए होलाष्टक दोष को मानना शास्त्र सम्मत है. देश के अन्य शेष भू-भागों में होलाष्टक दोष विचार का नियम लागू नहीं करना चाहिए, ऐसा शास्त्र सम्मत निर्णय है.
Astro nirmal
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जन्म कुंडली से जानें नौकरी की तैयारी कर रहे तो क्या हो पायेगा ?