नवीन कुमार
मुंबई के शिवाजी पार्क का अपना इतिहास है. पहले यह माहिम पार्क के नाम से जाना जाता था. लेकिन बाद में इसे छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर शिवाजी पार्क कर दिया गया. यह संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन का केंद्र बिंदू था. यह कई ऐतिहासिक राजनीतिक रैलियों का गवाह रहा है. शिवसेना प्रमुख बाला साहेब की दशहरा रैली यहीं होती रही है. क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर भी इसी पार्क से चमके. इसलिए कांग्रेस ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन कार्यक्रम के लिए शिवाजी पार्क को ही चुना है. राहुल इसी पार्क पर रैली को सम्बोधित करेंगे और विपक्ष के साथ लोकसभा चुनाव के प्रचार का आगाज भी करेंगे. शिवाजी पार्क में राहुल अपने राजनीतिक जीवन की पहली रैली करेंगे. शिवाजी पार्क के इतिहास को देखते हुए राहुल की रैली को अलग नजरिए से देखा जा रहा है. लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि इस रैली से क्या राहुल कोई राजनीतिक इतिहास रच पाएंगे?
राहुल के लिए भाजपा की ओर से जो भी जुमले इस्तेमाल किए जा रहे हों लेकिन उनकी शिवाजी पार्क पर होने वाली रैली पर भाजपा की कड़ी नजर है. भाजपा भी इस रैली को हल्के में नहीं ले रही है. कांग्रेस का मुंबई से पुराना नाता रहा है. इसी मुंबई (पहले बम्बई) में कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर 1885 में गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कालेज में हुई थी. अब जब कांग्रेस सिमटती जा रही है और मुंबई सहित महाराष्ट्र में भी इसमें बिखराव देखने को मिल रहा है तो ऐसे समय में शिवाजी पार्क में राहुल की रैली मायने रखती है. भाजपा ने कांग्रेस को समाप्त करने का बीड़ा उठाया हुआ है और गांधी परिवार पर नकारात्मक रूप से प्रहार कर रही है तो कांग्रेस को बचाने की बड़ी जिम्मेदारी राहुल पर भी है. इस बार राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इस बार लोकसभा में मनोरंजन नहीं हो पाया. उनका इशारा राहुल की ओर था जो अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा की वजह से संसद में उपस्थित नहीं थे. भाजपा भले ही राहुल से अपना मनोरंजन करती हो लेकिन इस सच को भी स्वीकार करना पड़ेगा कि भाजपा को राहुल से ही खतरा भी दिखता है. पिछली बार जब राहुल ने भारत यात्रा की थी तो भाजपा के हाथ से कर्नाटक राज्य चला गया था. अभी महाराष्ट्र में जीत को लेकर भाजपा बहुत ज्यादा आश्वस्त नहीं है. इसलिए भाजपा महाराष्ट्र में मशक्कत कर रही है ताकि लोकसभा चुनाव में उसे मनमाफिक सीट मिल सके.
लोकसभा चुनाव को लेकर देश के कुछ राज्यों में विपक्ष बंटा हुआ है. इससे भाजपा के चेहरे खिले हुए हैं. लेकिन महाराष्ट्र की स्थिति कुछ अलग है. यहां विपक्ष अब तक एकजुट है. कांग्रेस के साथ शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) का गठबंधन है. इसे इंडिया गठबंधन के तौर पर भी देखा जा रहा है. इससे भाजपा को खतरा महसूस हो रहा है. इसलिए भाजपा ने पहले उद्धव गुट की शिवसेना को तोड़ा. इसके बाद शरद पवार की एनसीपी को बांट दिया. अब कांग्रेस को भी तोड़ने की कोशिश हो रही है. इसके पीछे भाजपा की रणनीति है कि लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीती जा सके. लेकिन भाजपा का यह सपना पूरा न हो इसके लिए विपक्ष भी अपने गठबंधन को मजबूत करने में जुटा हुआ है. इसी एकता को और मजबूती देने के लिए कांग्रेस ने राहुल की रैली का आयोजन शिवाजी पार्क में किया है. यह रैली लोकसभा चुनाव से पहले हो रही है. इसलिए इससे विपक्ष का जनाधार और मजबूत होने की उम्मीद की जा रही है.
अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के साथ राहुल 12 मार्च को महाराष्ट्र में प्रवेश किया. नंदुरबार होते हुए वह धुले, मालेगांव, नाशिक, पालघर, ठाणे के बाद मुंबई आएंगे. 17 मार्च को शिवाजी पार्क में उनकी रैली होगी. राहुल की इस यात्रा को अच्छा प्रतिसाद मिला है. इसलिए यह माना जा रहा है कि शिवाजी पार्क से जब वह गरजेंगे तो महाराष्ट्र की राजनीति पर उसका अलग प्रभाव दिख सकता है. हालांकि, राहुल के मुंबई आने से पहले भाजपा ने कांग्रेस को झटका दिया है. कांग्रेस के विधायकों को भाजपा, शिंदे गुट की शिवसेना और अजित गुट की एनसीपी में भी शामिल किया गया है ताकि भाजपा को उसका फायदा लोकसभा चुनाव में मिल सके. लेकिन कांग्रेस इससे खुद को पतला महसूस नहीं कर रही है. यह राजनीति में आम बात है और कांग्रेस अपने बेहतर भविष्य के लिए काम कर रही है. राहुल पर कांग्रेस को मजबूत रखने की बड़ी जिम्मेदारी है. इसके साथ ही उन्हें विपक्ष को भी एकजूट रखना है. देश के कई राज्यों में चुनावी समझौते के तहत गठबंधन नहीं हो पाए हैं. लेकिन महाराष्ट्र में फिलहाल विपक्ष एक साथ रहने का प्रयास कर रहा है और इसी प्रयास के तहत मुंबई में राहुल की रैली आयोजित है जिसमें इंडिया गठबंधन से जुड़ी पार्टियों को भी शामिल किया जा रहा है. कांग्रेस को भरोसा है कि यह रैली चुनावी राजनीति पर अलग प्रभाव छोड़ेगी.
यह संभव है कि जब राहुल मुंबई आएंगे तो उन्हें कांग्रेस की अंदरूनी झगड़े से भी रूबरू होना पड़ सकता है. क्योंकि, लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं और टिकट पाने के लिए कई दावेदार हैं. ऐसे में राहुल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं को किस तरह से खुश कर पाएंगे यह देखना होगा. लेकिन राहुल को इससे भी बड़ा काम करना है कि किस तरह से नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष को खड़ा रखना है. इस रैली में राहुल के साथ उद्धव गुट की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी के प्रमुख नेता भी होंगे. ऐसे में यह रैली सिर्फ राहुल की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का हिस्सा नहीं होगी बल्कि विपक्ष की एकजुट आवाज होगी. राहुल को यही आवाज बुलंद करना है. विपक्ष के लिए भी यह बड़ा मौका है जब एकजुट होकर मोदी के खिलाफ खड़ा होना है. राहुल ने अपनी यात्रा को पूरा करते हुए मुंबई पहुंचने के लिए देश के 15 राज्यों के 110 लोकसभा क्षेत्रों का दौरा किया है. इसे चुनाव पूर्व का हिस्सा माना जा सकता है. अब सबको इंतजार है कि शिवाजी पार्क की रैली में राहुल क्या बोलते हैं और उनके भाषण का असर मोदी विरोधी लोगों पर कितना पड़ता है. हालांकि, शिवाजी पार्क का जो राजनीतिक इतिहास रहा है उससे यह उम्मीद की जा रही है कि राहुल भी यहां अपना नया इतिहास रच सकते हैं. वह कांग्रेस में नई जान फूंक सकते हैं. कांग्रेस में एक बेहतर नेतृत्व की कमी देखी जा रही है और यह भी महूसस किया जा रहा है कि कांग्रेस को एक नया स्वरूप दिया जाना चाहिए ताकि यह भाजपा का विकल्प बनकर उभरे. देश को एक मजबूत विपक्ष की जरूरत है. राहुल अगर इस रैली से कांग्रेस और विपक्ष को पुनर्जीवन देने में कामयाब होते हैं तो सच में वह इस रैली से एक नया इतिहास रच सकते हैं. राहुल को इस बात का ख्याल रखना पड़ेगा कि इस रैली में ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे भाजपा को उनका मजाक उड़ाने का मौका मिल जाए. इस रैली से भाजपा के अंदर एक डर तो है लेकिन भाजपा उस मौके की भी तलाश में है जिससे राहुल को फिर मनोरंजन का साधन मान लिया जाए. शिवाजी पार्क राहुल को इतिहास रचने का मौका दे रहा है और राहुल इसमें कामयाब हो सकते हैं. राहुल की ओर देश का एक बड़ा तबका नई उम्मीद और नई आशा से देख रहा है ताकि लोकसभा चुनाव के बाद उसे न्याय मिल सके.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मुंबई में जैकलीन फर्नांडीज की बिल्डिंग में लगी आग, दुबई में है एक्ट्रेस
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