नई दिल्ली. हिमाचल प्रदेश के बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसमें स्पीकर ने बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों को वोट देने और विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने की इजाजत भी नहीं दी है.
इन विधायकों को ठहराया गया अयोग्य
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने दल-बदल विरोधी कानून के तहत कांग्रेस के छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. अयोग्य घोषित किए गए विधायकों ने पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान किया. जिन विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया, उनमें सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, देवेंद्र भुट्टो, रवि ठाकुर, इंद्रदत्त लखनपाल, चैतन्य शर्मा का नाम शामिल है.
राज्यसभा चुनाव में हुई थी कांग्रेस की हार
बागी विधायकों की क्रॉस वोटिंग के चलते 40 विधायकों वाली कांग्रेस को 25 सीटों वाली भाजपा के सामने राज्यसभा सीट गंवानी पड़ी थी. बागी विधायकों के खिलाफ विधायी मामलों के मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बागी विधायकों के खिलाफ याचिका दायर कर उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की थी क्योंकि उन्होंने पार्टी के व्हिप का उल्लंघन किया. स्पीकर ने बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया तो स्पीकर के फैसले के खिलाफ विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, जहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी है. अब इन बागी विधायकों की सीटों पर उपचुनाव से राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार का भी भविष्य तय होगा.
लोकसभा चुनाव के साथ ही इन बागी विधायकों की सीटों पर भी उपचुनाव होंगे. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारती है या फिर इन्हीं विधायकों को मौका देती है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-हिमाचल के सीएम का बड़ा ऐलान, राज्य की महिलाओं को हर महीने मिलेंगे 1500 रुपए
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