प्रदीप द्विवेदी. अजब चंदे की गजब कहानी है.... चुनावी बॉन्ड!
जो नरेंद्र मोदी सरकार जनता की पाई-पाई का हिसाब चाहती है, उसने चुनावी बॉन्ड के जरिए काली कमाई का नया रास्ता दिखा दिया था?
लेकिन.... सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने सबका मुखौटा उतार दिया है!
खबर है कि.... सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद चुनाव आयोग ने रविवार को विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा सौंपे गए सैकड़ों सीलबंद लिफाफों का खुलासा किया, जिसमें बताया गया है कि किस पार्टी ने कितने चुनावी बॉन्ड भुनाए हैं और ये उन्हें किस-कंपनी या व्यक्ति ने दिए थे?
मजेदार बात यह है कि इसके बाद किसी पार्टी ने बताया कि- कोई उनके कार्यालय में बॉन्ड रख गया तो किसी ने बताया कि- उन्हें डाक द्वारा बिना किसी नाम के चुनावी बॉन्ड मिले, जबकि होशियार पार्टियों ने कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए चुनावी बॉन्ड देने वालों की जानकारी देने से ही इनकार कर दिया?
खबरों की मानें तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी का दावा है कि उनके कार्यालय में लिफाफे में बंद 10 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड अज्ञात स्रोत से प्राप्त हुए, बॉन्ड प्रदान करनेवालों के विवरण के बारे में जानकारी नहीं थी, इतना ही नहीं, न ही पार्टी ने जानने की कोशिश की, क्योंकि उस समय सुप्रीम कोर्ट से ऐसा कोई आदेश नहीं था?
इसी तरह, चुनावी बॉन्ड को लेकर डीएमके ने बताया कि उसे चंदा सैंटियागो मार्टिन के फ्यूचर गेमिंग से प्राप्त हुआ, दान प्राप्तकर्ता को दानदाता का विवरण देने की जरूरत नहीं थी, लिहाजा अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए हमने अपने दानदाताओं से संपर्क किया है?
इस सारे चंदा हेराफेरी कानून की जनक बीजेपी ने विभिन्न कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए इस बात की जानकारी नहीं दी कि उसे किससे चुनावी बॉन्ड मिले?
समाजवादी पार्टी का कहना था कि- हमें बिना नाम के चंदा मिला, एक करोड़ रुपये के 10 बॉन्ड डाक के जरिए मिले हैं, ये बांड किसने भेजे हैं इसकी जानकारी उसके पास नहीं है, क्योंकि ये बिना नाम के भेजे गए थे?
तृणमूल कांग्रेस ने भी दिलचस्प जानकारी दी है, चुनावी बॉन्ड उसके कार्यालय में भेजे गए थे, पार्टी कार्यालय के ड्रॉप बॉक्स में कोई चुनावी बॉन्ड डाल गया था?
सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि चुनावी बॉन्ड जैसा भ्रष्ट आचरण तरीका किसने तलाशा?
उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए!
यही तो? #ElectoralBond ने राजनेताओं को कटोरेवाला भिखारी बना दिया, भिखारी को भी पता नहीं होता है कि कटोरे में पैसा कौन डाल गया?? कइयों को तो भीख मांगने का 35-40 साल का अनुभव है!!
https://twitter.com/Pradeep80032145/status/1769713109902426235
देश के प्रमुख कार्टूनिस्ट Shekhar Gurera @GureraShekhar ने कुछ ऐसे व्यंग्यबाण चलाए....
https://twitter.com/GureraShekhar/status/1769064763760284074/photo/1
#ElectoralBondsCase अफवाह नहीं फैले इसके लिए पूरी जानकारी साफ-साफ दी जानी चाहिए?
#EVM क्या चुनावी बॉन्ड योजना की तरह ईवीएम का भी झटका लग सकता है मोदी सरकार को?
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