अभिमनोज. पंजाब में बीजेपी और अकाली दल के बीच लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की बातचीत टूट गयी है, लिहाजा.... दोनों दल मिलकर चुनाव नहीं लड़ेंगे?
बड़ा सवाल यह है कि अकाली दल ने ऐसा क्यों किया है? इसके कई कारण हैं....
1. खबरों की मानें तो मोदी टीम का सियासी अतीत बताता है कि सहयोगी क्षेत्रीय दलों को धीरे-धीरे बीजेपी तोड़ देती है, ऐसा अकाली दल के साथ भी हो सकता है?
2. अकाली दल की तरफ से यह कहा गया है कि- दोनों ही दलों की विचारधाराओं में अंतर के कारण गठबंधन संभव नहीं है?
3. कृषि कानून के मुद्दे पर अकाली दल अलग हुआ था, आज भी किसानों का मुद्दा पंजाब का सबसे बड़ा मुद्दा है और एमएसपी को लेकर मोदी सरकार की सियासी बेईमानी पंजाब को रास नहीं आ रही है, यदि अकाली दल बीजेपी के साथ गया, तो बीजेपी को भले ही फायदा हो जाए, अकाली दल को बड़ा नुकसान हो सकता है?
4. अकाली दल 2024 के लोकसभा चुनाव में अकेले दम पर लड़कर विधानसभा चुनाव 2027 के लिए अपना वोटबैंक मजबूत करना चाहता है, बीजेपी के साथ रहा तो बीजेपी को तो पंजाब में आधार मिल जाएगा, लेकिन अकाली दल का आधार खिसक जाएगा?
खबरें हैं कि.... अकाली दल की तरफ से पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि- वह सिद्धांतों को राजनीति से ऊपर रखना जारी रखेगी और सभी पंजाबियों के चैंपियन के रूप में अपनी ऐतिहासिक भूमिका से कभी पीछे नहीं हटेगी, सिखों और सभी पंजाबियों के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में पार्टी राज्यों को अधिक शक्तियों और वास्तविक स्वायत्तता के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेगी!
अकाली दल और बीजेपी के अलग-अलग चुनाव लड़ने से पंजाब की 13 सीटों पर चतुष्कोणीय मुकाबला होगा, जिसमें कांग्रेस, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, अकाली दल और बीजेपी प्रमुख दल होंगे?
बीजेपी के लिए पंजाब सबसे कमजोर कड़ी है, लिहाजा.... यह देखना दिलचस्प होगा कि इस राज्य से लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को क्या मिलता है?
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