जबलपुर: क्रिश्चियन मिशनरी के स्कूलों को प्रकाशकों से मिलने वाला रुपया आता है धर्मान्तरण के काम..!

जबलपुर: क्रिश्चियन मिशनरी के स्कूलों को प्रकाशकों से मिलने वाला रुपया आता है धर्मान्तरण के काम..!

प्रेषित समय :19:34:41 PM / Thu, Apr 4th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के जबलपुर में निजी स्कूलों द्वारा बच्चों के अभिभावकों को खास दुकानों से यूनिफार्म, कापी, किताब सहित अन्य सामग्री  लेने के लिए दबाव बनाए जाने पर जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है. जिसमें 40 से ज्यादा स्कूलों की शिकायतें मिलने पर जांच शुरु हो गई है. लेकिन अभी तक क्रिश्चियन मिशनरी के स्कूलों का नाम अभी तक सामने नहीं आया है. इन स्कूल द्वारा प्रकाशकों से करोड़ों रुपए लिया जाता है. यही रुपया आगे जाकर धर्मान्तरण के काम में लगाया जाता है.

क्रिश्चियन मिशनरी के स्कूलों द्वारा लम्बे समय से बच्चों के अभिभावकों से यूनिफार्म, कापी, किताब यहां तक कि स्टेशनरी का सामान खरीदने के लिए खास दुकानों का नाम बताया जाता है. यहां से खरीदी गई सामग्री ही मिशनरी के स्कूलों को स्वीकार की जाती है. खासबात तो यह है कि स्कूल प्रबंधन से लेकर शिक्षक तक स्टूडेंट्स के बैग की जांच कर संतुष्ठ होती है कि जहां से बताया गया था वहीं से सामान खरीदा गया है या नहीं. इसके पीछे मिशनरी के स्कूलों की सोची समझी साजिश है, स्कूलों द्वारा प्रकाशकों से लेकर खास दुकानदारों से करोड़ों रुपए नगद लिए जाते है. इसके बाद यही रुपया धर्मान्तरण के काम में आता है. खासबात यह भी है कि प्रकाशकों से लेनदेन नगद में ही होता है जिससे किसी को इस बात का पता भी नहीं चलता है. शहर में ईओडब्ल्यू की टीम ने जब बिशप पीसी सिंह के घर पर छापा मारकर जमीन घोटालों से लेकर अन्य मामलों को उजागर किया था, उस वक्त यह बात भी सामने आई थी कि पूर्व बिशप पीसी सिंह द्वारा प्रकाशकों से करोड़ों रुपए लेकर उनकी किताबों को ही स्कूल में लगाया जाता है. यह सिलसिला आज भी जारी है, खबर है कि वर्तमान में भी इस स्कूल द्वारा प्रकाशक व शहर के एक बड़े स्टेशनरी व बुक्स सेलर से करोड़ों रुपए  डोनेशन लेकर उपकृत किया जा रहा है. हालांकि अभी तक स्कूल का नाम सामने नहीं आया है जिसकी एक वजह यह भी है कि अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर भी कहीं न कहीं चितिंत रहते है कि यदि शिकायत की गई तो उनके बच्चे के साथ स्कूल में दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाने लगेगा, उसके भविष्य पर सवालियां निशान लगा दिए जाएगें. यदि जिला प्रशासन इस मामले की जांच करे तो एक बड़े मामले का पर्दाफाश हो सकता है, जिसमें मिशनरी के स्कूलों द्वारा प्रकाशकों, बुक सेलर, स्टेशनरी सप्लायर से किस तरह करोड़ों रुपए लिए जा रहे है. 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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