श्री दुर्गा शप्तसती क्रम व संपुट ज्ञान

श्री दुर्गा शप्तसती क्रम व संपुट ज्ञान

प्रेषित समय :21:49:07 PM / Wed, Apr 10th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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माँ दुर्गा की अभिष्ट सिद्धि हेतु अनेकानेक क्रम से शप्तसती अनुष्ठान करने का विधान है. आपने संशयों के निराकरण हेतु कई ग्रंथ खंगाले, कई जगह विद्वानो के पास भटका भी अंत मे देवी मार्गदर्शन व गुरु चरणों से ही सही व पूर्ण विधान तक पहुंच पाया. 
वही बातें आपके समक्ष रख रहा हूँ, माँ शप्तसती के निम्न क्रम है -
1. महाविद्या क्रम - प्रथम, मध्यम व उत्तर चरित्र का क्रम से पाठ -सर्वमनोकामना हेतु (गृहस्थ के लिए यही क्रम सर्वश्रेष्ठ है किन्तु इनके भी कुछ गूढ रहस्य है यदि उनके अनुसार किया जाये तो जीवन चमत्कारिक ढंग से बदला जायेगा )
2.महा तंत्री क्रम -प्रथम, तृतीय व द्वितीय क्रम से पाठ करना.(शत्रु नाश व लक्ष्मी प्राप्ति हेतु )
3.चंडी क्रम - प्रथम, द्वितीय व तृतीय क्रम चामुंडा मंत्र से. (शत्रु नाश )
4.सप्तश्ती क्रम -द्वितीय,प्रथम व तृतीय चरित से पाठ करना. (लक्ष्मी व ज्ञान प्राप्ति, उत्कीलन )
5. मृत संजीवनी क्रम - तृतीय, प्रथम व द्वितीय क्रम से पाठ करना. ( असाध्य रोग नाश )
नोट -इसमें एक गुप्त मंत्र से संपुट लगता है 
6.महाचंडी क्रम -तृतीय, द्वितीय, प्रथम चरित्र क्रम.
(शत्रुनाश व लक्ष्मी प्राप्ति हेतु )
रुपदीपिका क्रम - "रुपम देहि " इस श्लोकार्ध व नवार्ण मंत्र से सम्पूटीत. (विजय व आरोग्य )
7. निकुम्भला क्रम - गुरुवाणी से सुनने मे मिला है कि ये क्रम स्वयं महादेव ने मेघनाद को बताया था. इसे अपराजिता क्रम भी कहते है क्यूंकि इसे करने वाला अजेय हो जाता है.
द्वितीय, प्रथम, तृतीय क्रम से पाठ (शुलेन पाहि नो देवी.. " से सम्पूटीत )
इससे रक्षा भी होती है और विजय भी मिलती है 
8. संहार क्रम - 701 वें श्लोक से प्रथम श्लोक तक.
निश्चित शत्रु नाश 
इसके अलावा महालक्ष्मयादी क्रम, महासंहार क्रम (जिससे शत्रु के घर मे सब मृत्यु को प्राप्त हो जाते है ), सृष्टि, स्थिति क्रम अतिगोपनीय है 
इनका सार्वजनिक प्रकटीकरण अपराध माना जाता है इसलिए यही तक ही ठीक है.
कुछ विद्वान 2 और क्रम मानते है जो निम्न प्रकार है :-
1. चतुष्टि योगिनी क्रम - 64 योगिनी पाठ से सम्पूटीत.
(उपद्रव श्मन के लिए )
2.
 परा -"परा बीज के योग से "
  तो इस प्रकार ये थे माँ महामाया के क्रम, सप्तश्ती कोई सामान्य  ग्रंथ नहीं है, इसकी सही उपासना से जीवन मे बहुत कुछ पा जाओगे, 
किसी तांत्रिक के पास भटकने कि आवश्यकता नहीं है.
 अब आते है संपुट पाठ पर -
1. उदय संपुट - कामना मंत्र पहले और बाद मे सीधा लगता है. जैसे शुलेंन पाहि नो देवी.... ऋषि उवाच.... शुलेन पाहि नो देवी...
इस प्रकार से 
2. अस्त संपुट - इसमें पहले मंत्र सीधा बोला जाता है और श्लोक के बाद उल्टा 
जैसे -शुलेन पाहि नो देवी.... ऋषि उवाच.... च स्वनेन ज्यानी चाप पाहि स्वनेनघंटा चामबीके खड़ंगेन पाहि नो देवी शूलेन 
इस प्रकार से...
3. अर्ध संपुट - इसमें पहले या बाद मे सिर्फ एक ही बार संपुट लगाया जाता है. 
तीनो संपुट का अलग अलग रहस्य है कोनसे संपुट का प्रयोग कब करना है वो भी लिखेंगे जल्दी ही.
नोट -सप्तश्ती क्रम व संपुट के अपने रहस्य है, बिना पूर्ण ज्ञान अपने मन से ना करें, किसी योग्य गुरु से मार्गदर्शन लेवें|

Bihari Lal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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