प्रतिवर्ष 13/14 अप्रैल को सूर्य मेष राशि में प्रवेश होते ही श्रेष्ठ एवं उच्च का होता है, मेष राशि चक्र की प्रथम राशि है, इस समय सूर्य नक्षत्र समूह के प्रथम नक्षत्र अश्विनी में भी प्रवेश करता है.
*सिंधी-पंजाबी इस दिन नववर्ष वैशाखी पर्व* मनाते हैं.
सूर्य एक राशि में एक माह रहता है.
मेष राशि के सूर्य में जन्म लेने वाले व्यक्ति के लिए कल्याणकारी समय रहता है. मेष राशि के प्रवेश के समय कर्क लग्न की कुंडली में सूर्य दसवें भाव में होता है. कुंडली में दसवां भाव ऐसा भाव होता है, जब सूर्य का तेज प्रकाश सहन कर सकते हैं. इन परिस्थितियों में जन्म लेने वाले व्यक्ति को सूर्य महान एवं कर्मयोगी बनाता है. दसवां स्थान कर्म एवं राज्य का होता है.
*भगवान श्रीराम जी की कुंडली में दसवें भाव* में मेष का सूर्य होने से उन्हें यशस्वी कीर्तिमान एवं कर्मठ बनाने के साथ कुलदीपक भी बनाया. वर्तमान में जब उच्च सूर्य राजनीति में भारी सफलता प्रदान करता है.
जन्म राशि से गोचर सूर्य 3, 6, 10, 11वां होने पर शुभ फल देता है. व्यक्ति को कार्यों में आशातीत सफलता, शत्रु नाश, प्रसन्नता- खुशियां, स्वस्थता, धन-लाभ, सुख-संतोष में वृद्धि एवं मान प्रतिष्ठा मिलती है. परंतु जब गोचर में उच्च सूर्य मेष राशि पर होने पर उक्त शुभ फलों में कई गुना वृद्धि हो जाती है.
जब सूर्य मेष राशि में हो तो जातक को भगवान शिव का पूरी अवधि में सहस्त्रधार-अभिषेक शास्त्रोक्त विधि से परंपरागत रूप से करना चाहिए. जिस राशि में गोचर सूर्य अशुभ होता है उन्हें प्रतिदिन सूर्यमंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव का जलाभिषेक करना लाभकारी होता है- सूर्य मंत्र *"ॐ घृणि सूर्याय नमः"*.
*ज्योतिषाचार्य निर्मल श्री हरिचरण अनुरागी
Astro nirmal
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