नई दिल्ली. वीवीपीएटी एक ऐसी प्रणाली है जो मतदाताओं को यह सत्यापित करने की अनुमति देती है कि उनका वोट सही ढंग से डाला गया है. उस उम्मीदवार के लिए गिना गया है जिसे वे समर्थन देना चाहते हैं. वीवीपीएटी एक पेपर स्लिप तैयार करता है जिसे सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जाता है और किसी भी विवाद या विसंगतियों के मामले में इसका उपयोग किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने आज को भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) से वकील प्रशांत भूषण के उस आरोप पर गौर करने को कहा कि केरल के कासरगोड में एक मॉक पोल के दौरान चार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों ईवीएम ने भारतीय जनता पार्टी के लिए एक अतिरिक्त वोट दर्ज किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया में पवित्रता होनी चाहिए और किसी को भी यह आशंका नहीं होनी चाहिए कि जो कुछ अपेक्षित है वह नहीं किया जा रहा है. ईसीआई के एक अधिकारी न्यायमूर्ति संजीव खन्ना व न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की एससी पीठ के समक्ष उपस्थित थेए जिसने ईवीएम और वीवीपीएटी के कामकाज को समझाते हुए वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल के साथ डाले गए वोटों के क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की.
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