प्रदीप द्विवेदी. देवी देवताओं, पूजास्थलों के नाम पर वोट मांगने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें वकील आनंद एस जोंधले ने- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत प्रधानमंत्री मोदी को छह साल के लिए चुनाव से अयोग्य घोषित करने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की है!
पल-पल इंडिया 11/7/2023 में कहा था.... सत्तातंत्र का दुरुपयोग करने के मामले में पीएम मोदी, श्रीमती इंदिरा गांधी से बहुत आगे हैं, लेकिन बहादुरी के मामले में बहुत पीछे हैं?
https://palpalindia.com/2023/07/11/rajniti-politics-modi-ahead-of-Indira-Gandhi-misuse-of-power-PM-Care-Fund-ED-director-sanjay-kumar-mishra-news-in-hindi.html
सत्तर के दशक में आपातकाल से पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी पर सत्तातंत्र का दुरुपयोग करने के आरोप लगे थे, लेकिन सत्तातंत्र का दुरुपयोग करने के मामले में पीएम नरेंद्र मोदी, श्रीमती इंदिरा गांधी से बहुत आगे हैं, अलबत्ता बहादुरी के मामले में बहुत पीछे हैं?
कई अन्य मामलों को नजरअंदाज़ भी कर दें, तो अकेले पीएम केयर फंड के लिए सत्तातंत्र के दुरुपयोग के मुकाबले श्रीमती गांधी का दुरुपयोग, एक प्रतिशत भी नहीं है?
इसी तरह पल-पल इंडिया (15/2/2024) में कहा था.... क्या चुनावी बॉन्ड योजना पर फैसला नरेंद्र मोदी के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट जैसा साबित होगा?
https://palpalindia.com/2024/02/15/delhi-Supreme-Court-Electoral-Bond-Scheme-PM-Care-Fund-Legal-Corruption-Modi-Allahabad-High-Court-news-in-hindi.html
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टीम ने 2014 के बाद चुनावी बॉन्ड योजना, पीएम केयर फंड जैसे कई कानूनी भ्रष्टाचार के तरीके निकाल लिए हैं, तो क्या चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला नरेंद्र मोदी के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट जैसा साबित होगा, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को बहुत बड़े सियासी संकट में डाल दिया था?
याद रहे, 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला सुनाया था और नतीजे में इमरजेंसी लगी थी!
नरेंद्र मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका देते हुए चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को अपना फैसला सुनाया, जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है.
चुनावी बॉन्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट की ओर से चुनावी साल में अंसवैधानिक करार देना, मोदी सरकार के लिए तगड़ा झटका है.
अदालत का कहना है कि- काले धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सूचना के अधिकार का उल्लंघन ठीक नहीं है, चुनावी बांड योजना सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है, राजनीतिक दलों के द्वारा फंडिंग की जानकारी उजागर न करना उद्देश्य के विपरीत है.
उल्लेखनीय है कि- प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पिछले साल 2 नवंबर 2023 को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, अब अदालत ने चुनावी बॉन्ड तुरंत रोकने के आदेश दिये हैं और कहा है कि- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया चुनावी बॉन्ड के माध्यम से अब तक किए गए योगदान के सभी विवरण 6 मार्च 2024 तक चुनाव आयोग को दे, चुनाव आयोग 13 मार्च 2024 तक अपनी वेबसाइट पर यह जानकारी साझा करे.
यह फैसला सुनाने के दौरान प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि- हम सर्वसम्मत निर्णय पर पहुंचे हैं, मेरे फैसले का समर्थन जस्टिस गवई, जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा द्वारा किया गया है, इसमें दो राय हैं, एक मेरी खुद की और दूसरी जस्टिस संजीव खन्ना की, दोनों एक ही निष्कर्ष पर पहुंचते हैं, हालांकि, तर्कों में थोड़ा अंतर है.
खबरों की मानें तो, वकील आनंद एस जोंधले ने अपनी याचिका में प्रधानमंत्री मोदी को छह साल के लिए चुनाव से अयोग्य घोषित करने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग के साथ-साथ यह भी कहा है कि- धार्मिक देवी देवताओं और पूजास्थलों के नाम पर वोट मांगने से रोकने का आदेश भी दिया जाए.
खबरों के अनुसार.... याचिकाकर्ता ने पीएम नरेंद्र मोदी के 9 अप्रैल 2024 को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में दिए भाषण का हवाला देते हुए कहा है कि- भाषण के दौरान पीएम मोदी ने मतदाताओं से हिंदू देवी-देवताओं और हिंदू पूजा स्थलों के साथ-साथ सिख देवताओं और सिख पूजा स्थलों के नाम पर बीजेपी को वोट देने की अपील की थी.
यही नहीं, नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि उन्होंने राम मंदिर का निर्माण किया है, उन्होंने करतारपुर साहिब कॉरिडोर विकसित किया और गुरुद्वारों में परोसे जाने वाले लंगरों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री से जीएसटी हटा दिया, वह अफगानिस्तान से गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतियां वापस लाए थे. इसके अलावा जोंधले का यह भी कहना है कि- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल हिंदू और सिख देवताओं और उनके पूजा स्थलों के नाम पर वोट मांगे, बल्कि विपक्षी राजनीतिक दलों को मुसलमानों का पक्षधर बताते हुए उनके खिलाफ टिप्पणियां भी की थी.
इस वक्त लोकसभा चुनाव में जिस तरह से धर्म का दुरुपयोग किया जा रहा है, उसने प्रश्नचिन्ह तो लगा ही दिया है, लिहाजा बड़ा सवाल यह है कि- क्या दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला नरेंद्र मोदी के लिए इलाहबाद हाईकोर्ट जैसा साबित होगा?
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