प्रदीप द्विवेदी. लोकसभा चुनाव 2024 में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कुल 102 सीटों के लिए पहले चरण में शुक्रवार को मतदान हुआ, जिनमें तमिलनाडु की सभी 39 सीटें, राजस्थान की 12, उत्तर प्रदेश की 8, मध्य प्रदेश की 6, उत्तराखंड की सभी 5, महाराष्ट्र की 5, असम और बिहार की 4-4, पश्चिम बंगाल की 3, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश की 2-2, छत्तीसगढ़, मिजोरम और त्रिपुरा की 1-1 सीट शामिल हैं.
खबरों की मानें तो शाम पांच बजे तक 102 सीटों पर करीब 60 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जबकि तीन बजे तक 49.78 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था?
उल्लेखनीय है कि जिन 102 सीटों पर मतदान हुआ वहां 2019 में 69.96 प्रतिशत मतदान हुआ था, मतलब.... इस बार अपेक्षाकृत कम मतदान हुआ है!
ऐसा क्यों हुआ? और.... इससे किसे नुकसान होगा, यह राज तो मतगणना के नतीजों से ही पता चलेगा, लेकिन ऐसा लगता है कि जितने नेता सक्रिय रहे, उतने कार्यकर्ता सक्रिय नहीं रहे, वजह?
समर्पित और सक्रिय कार्यकर्ता सबसे ज्यादा बीजेपी के पास हैं, लेकिन एक अकेला सब पर भारी इलेक्टोरल बांड और बीजेपी के कांग्रेसीकरण के कारण मूल भाजपाई कार्यकर्ताओं में 2014 और 2019 वाला जोश नजर नहीं आ रहा है, लिहाजा जिन सीटों पर कांटे की टक्कर है, वहां सियासी खतरे की घंटियां बज रही हैं!
देखना दिलचस्प होगा कि कम मतदान से किसका नुकसान होता है और किसका फायदा होता है?
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