पहला भाव
जब सूर्य और शनि कुंडली के एक ही भाव में होते है, तो लोगों को सूर्य से आत्मविश्वास मिलता है और शनि उस विश्वास को खत्म कर देता है. जब जन्म कुंडली के पहले भाव में सूर्य और शनि युति करते हैं, तो व्यक्ति सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करता है. लेकिन सकारात्मक परिणामों का अनुभव नहीं करता है. इस युति में यदि सूर्य बली हो, तो व्यक्ति बड़ी से बड़ी बीमारी से उबरने में सफल हो सकता है.
जब शनि और सूर्य का प्रथम भाव में संयोग होता है, तो इसका व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. यह संयोग व्यक्ति के अधिकांश कार्यों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है, जैसे कि उनकी स्वास्थ्य स्थिति, वित्तीय स्थिति, करियर आदि. इस युति के दौरान व्यक्ति को सावधान रहना चाहिए, क्योंकि इस समय व्यक्ति को विपरीत प्रभावों का अनुभव हो सकता है.
दूसरा भाव
जब सूर्य और शनि दूसरे भाव में होते हैं, तो रिश्तों में खटास आ जाती है. यह संयोग व्यक्ति के जीवन के लिए अशुभ माना जाता है. जब सूर्य और शनि एक साथ दूसरे भाव में होते है, तो जातक को धन और संपत्ति मिल सकती हैं. लेकिन इस संयोग के दौरान जातक को गले से जुड़ी किसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य और शनि की युति व्यक्ति के धन और सम्पत्ति क्षेत्र पर प्रभाव डाल सकती है. यदि सूर्य और शनि की युति दूसरे भाव में होती है, तो व्यक्ति की वित्तीय स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि शनि विनाशकारी ग्रह है, जो धन का अस्तित्व कम कर सकता है और नए संपत्ति के संचय में दिक्कत पैदा कर सकता है. यदि इस युति में सूर्य अधिक शक्तिशाली होता है, तो वह व्यक्ति के धन और संपत्ति को बढ़ा सकता हैं.
तीसरा भाव
तीसरे भाव में सूर्य और शनि युति को अनुकूल माना है. इस युति के दौरान व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो उन्हें जीवन में आगे बढ़ने में मदद करती है. इस युति के दौरान व्यक्ति राजनीति में एक अच्छा पद प्राप्त कर सकता हैं. साथ ही इस संयोग के कारण भाई-बहन के संबंधों में तनाव आ सकता है.
अगर सूर्य और शनि की युति तीसरे भाव में होती है, तो इसका प्रभाव व्यक्ति के आर्थिक स्थिति पड़ता है. इसके कारण व्यक्ति को धन, सम्पत्ति और आर्थिक स्थिरता की प्राप्ति होती है. इस युति का प्रभाव व्यक्ति की निवेश योजनाओं, संपत्ति प्राप्ति और आय के स्रोतों पर भी होता है. साथ ही इस युति के कारण जातक के संबंधों में तनाव भी उत्पन्न हो सकता है.
चौथा भाव
सूर्य और शनि युति का चतुर्थ भाव में अशुभ प्रभाव पड़ता है. इस दौरान आपके माता-पिता के साथ किसी बात को लेकर विवाद हो सकता है, जिससे आप अलग-थलग महसूस कर सकते है. आपको जीवन साथी से सहयोग प्राप्त हो सकता है. हालांकि, आपके जीवनसाथी को स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से निपटना पड़ सकता है. इस दौरान व्यक्ति अपने जीवन में घटित होने वाली दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से चिंतित रह सकता है.
जब सूर्य और शनि की युति चौथे भाव में होती है, तो इसका प्रभाव जातक के पारिवारिक जीवन पर पड़ता है. चौथे भाव में सूर्य और शनि की युति बुद्धि, विद्या, यात्रा, अध्ययन, धर्म, गुरु, पिता, आदि पर प्रभाव डालती है. इस युति से जातक को अधिक बुद्धिमानी से फैसले लेने की शक्ति मिलती है. इस युति से जातक को धार्मिक कर्तव्यों को समझने और उन्हें पूरा करने की शक्ति मिलती है.
पांचवा भाव
पंचम भाव को ज्ञान भाव के रूप में भी जाना जाता है. पंचम भाव में शनि और सूर्य की युति से व्यक्ति अपने लक्ष्यों को लेकर कोई बड़ा फैसले ले सकते है. इस संयोजन के दौरान, एक व्यक्ति वित्तीय और शैक्षिक चुनौतियों का अनुभव कर सकता है. शेयर बाजार में रुचि के कारण व्यक्तियों को वित्तीय कठिनाइयों का अनुभव हो सकता है.
पंचम स्थान धर्म, संस्कार, पुण्य, धन, संतान और विवाह के संबंध में महत्वपूर्ण होता है. यदि सूर्य और शनि की युति पंचम स्थान में होती है, तो इसके कारण आपकी संतान या विवाह से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं. इस समय शनि के कारण जातक को संतान से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
Pooja Gautam
जन्म कुंडली में यदि चंद्रमा दूसरे या आठवे भाव में हो, तो पसीना अधिक आता
सूर्य-शुक्र की युति जन्मकुंडली में हो तो कानों में सोने की बालियां पहनें