जन्म कुण्डली के बारह भावों की महादशा

जन्म कुण्डली के बारह भावों की महादशा

प्रेषित समय :21:23:52 PM / Tue, Apr 23rd, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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जन्म कुण्डली के प्रत्येक भाव की महादशा भिन्न भिन्न फल प्रदान करने वाली
होती है.बारह भावों में स्थित शुभ और अशुभ प्रभाव जातक के जीवन को पूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं. प्रत्येक भाव अनुसार महादशा के प्रभावों का वर्णन इस प्रकार से जातक को प्रभावित कर सकता है.

*लग्नेश की दशा*
शारीरिक सुख, स्वास्थ्य, धन, बल की वृद्धि करने वाली होती है. यदि लग्नेश अष्टमस्थ हो तो शारीरिक पीडा़ हो सकती है. लग्नेश में शनि की अन्तर्दशा से धन की हानि एवं कुंटुंब से विरोध हो सकता है.

*द्वितीयेश की दशा*
शारीरिक कष्ट एवं पीडा़ मिल सकती हैं पर यह धन संपदा में वृद्धि करने वाली भी होती है. द्वितीयेश पाप ग्रह से युक्त हो तो मानहानि, धनहानि, स्वजनों से विरोध को भी सहना पड़ सकता है. द्वितीयेश की महादशा में शनि, मंगल, सूर्य, राहु जैसे ग्रहों की अन्तर्दशा में धन की हानि हो सकती है. पाप ग्रह होकर द्वितीयेश अपनी दशा में राज भय देता है. धन हानि एवं देश निकाल दे सकता है. यदि द्वितीय भाव में शुभ ग्रह हों तथा धनेश भी शुभ ग्रह से युक्त हो तो द्वितीयेश की दशा में जातक अच्छी उन्नती प्राप्त करता है.

*तृतीयेश की महादशा*
तृतीयेश शुभ ग्रहों से युक्त हो अथवा शुभ ग्रह के साथ स्थित हो तो तृतीयेश की दशा एवं अन्तर्दशा में अत्साह, साहस एवं पराक्रम की वृद्धि होती है. भाई बहनों का प्रेम प्राप्त होता है. तृतीयेश यदि पाप ग्रहों से युक्त हो तो पाप ग्रह की अन्तर्दशा में भाई बंधुओं से मतभेद उत्पन्न हो सकता है. पापी तृतीयेश होने पर अशुभ प्रभाव अधिक देखने को मिलते हैं. यह शत्रुओं की वृद्धि करती है धन नाश, शस्त्राघात की पीडा़ देती है.

*चतुर्थेश की महादशा*
चतुर्थेश यदि पाप ग्रहों से युक्त हो तो पाप ग्रहों की अन्तर्दशा आने पर भू-संपदा की हानि, मानसिक कलेश, वाद विवाद एवं माता के सुख में कमी आती है.चतुर्थेश यदि शुभ ग्रहों से युक्त हो तो इसकी दशा में भूमि, भवन का सुख प्राप्त होता है, वाहन का सुख एवं माता का सुख मिलता है.

*पंचमेश की महादशा*
पंचमेश में यदि शुभ ग्रह हों तो इसकी दशा में धन का लाभ होता हे संतान का सुख एवं उससे सम्मान की प्राप्ति होती है. राजसम्मान तथा लोगों से स्नेह प्राप्त होता है. पंचमेश की दशा धन धान्य, विद्या सुबुद्धि प्रदान करती है. व्यक्ति के मान सम्मान में वृद्धि होती है. परंतु पंचमेश माता के लिए मारकेश होने से माता को कष्ट, पीडा़ भी प्राप्त हो सकती है.पंचमेश की महादशा में पाप ग्रह की अन्तर्दशा होने पर भय, दुख, संतान पर कष्ट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.

*षष्ठेश की महादशा*
षष्ठेश की महादशा में रोग, शत्रु का भय लग सकता हे. संतान को कष्ट हो सकता है. षष्ठेश की दशा में पाप ग्रहों की अन्तर्दशा राज्य से तिरस्कार कोप भाजन का शिकार बना सकती है. कारावास, मुकदमा या व्याधि को भी झेलना पड़ सकता है.

*सप्तमेश की महादशा*
सप्तमेश की दशा में शोक, शारीरिक कष्ट मिल सकता है. सप्तमेश पाप ग्रह हो तो इसकी दशा में स्त्री को कष्ट प्राप्त हो सकता है. वैवाहिक जीवन में तनाव एवं अलगाव भी उत्पन्न हो सकता है. सप्तमेश में पाप ग्रह की अन्तर्दशा होने पर जातक को स्त्री सुख से वंचित रहना पड़ सकता है. किंतु शुभ ग्रहों से युक्त होने पर यह दांपत्य सुख प्रदान करने में सहायक होता है तथा सांसारिक सुख प्रदान करने में सक्षम होता है.

*अष्टमेश की महादशा*
अष्टमेश की दशा में पाप ग्रह की अन्तर्दशा शत्रु से भय, धन का क्षय करा सकती है. इसकी पाप ग्रहों की दशा स्त्री, मित्रों, भाई बंधुओं के सुख में कमी आती है. अष्टमेश आयु स्थान है अत: इसकि अच्छी दशा दिर्घायु प्रदान करने में भी सहायक होती है.

*नवमेश की महादशा*
नवमेश की दशा में धार्मिक प्रवृत्ति देखी जा सकती है. जातक दान., पुण्य, तीर्थ यात्राओं करने की इच्छा रखने वाला होता है. शुभ ग्रहों से युक्त होने पर बुद्धि, प्रतिष्ठा में उन्नती देने वाला होता है. नवमेश की दशा में पाप ग्रह का अन्तर्दशा होने पर पिता को कष्ट हो सकता है, धार्मिकता का पतन हो सकता है तथा धन का नाश एवं बंधन प्राप्त हो सकता है.

*दशमेश की महादशा*
दशमेश की दशा में धन और मान सम्मान की प्राप्ति होती है. राज सम्मान की प्राप्ति हो सकती है. दशमेश पाप या नीच ग्रहों से युक्त होने पर प्रियजनों को संताप देता है, अपमान, कार्य में रूकावट देता है, अवनती और पदच्युति प्रदान करता है. यदि कोई ग्रह दशम में उच्च या शुभ का हो तो उक्त ग्रह की दशा में भाग्योदय, मान सम्मान की प्राप्ति होती है.

*एकादशेश की महादशा*
एकादशेश भाव लाभ का स्थान कहलाता है अत: इसकी दशा में लाभ प्राप्ति की संभावना देखी जा सकती है. जातक व्यापार एवं व्यवसाय से अच्छा लाभ पाता है. उसे सम्मान एवं यश की प्राप्ति होती है. यदि लाभेश पाप ग्रहों से युक्त हो तो इसकी दशा रोग प्रदान कर सकती है. इसमें पाप ग्रहों की अन्तर्दशा राजभय, हानि, दुख प्रदान कर सकती है तथा व्यर्थ के खर्चों को बढा़ सकती है.

*द्वादशेश की महादशा*
द्वादशेश भाव व्यय भाव कहलाता है. व्ययेश की दशा में आर्थिक कष्ट, रोग, चिंता प्रदान करने वाला हो सकता है. द्वादशेश की दशा में शनि, सूर्य अथवा मंगल की अन्तर्दशा स्त्री एवं संतान से मतभेद प्रदान कर सकती है. द्वादशेश की महादशा में राहु की अन्तर्दशा चोर, विष या अग्नि का भय प्रदान कर सकती है.
Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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