आपकी कुंडली में शनि मेष कर्क वृश्चिक या सिंह राशि में हो तो उसे कमजोर कहा जा सकता है क्योंकि ये वह राशियां हैं जो शनि की परम शत्रु है. शनि अगर इन राशियों में रहता है तो वह अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करता जिस कारण उसके खराब परिणाम देखने को मिलते हैं.
अगर आपकी कुंडली में शनि मंगल के साथ या सूर्य के साथ बहुत कम डिग्री की दूरी पर हो तो भी शनि कहीं ना कहीं पीड़ित हो जाता है जिससे आपको बुरे परिणाम देखने को मिल सकते हैं.
यदि आपकी कुंडली में शनि की यही स्थिति नवमांश में भी हो तो फिर यह शनि बहुत ही पीड़ित और कमजोर माना जाएगा जिसके आपको कई प्रकार के दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं इसलिए अगर ऐसी स्थिति में शनि हो तो हमारे द्वारा नीचे बताए गए उपायों को आपको अवश्य करना चाहिए जिससे आपका जीवन सरल और समृद्ध बन सके.
शनि दोष के लक्षण
यदि कुंडली में शनि दोष है तो व्यक्ति के धन और संपत्ति धीरे-धीरे अनावश्यक कार्यों में खर्च होने लगती है.
शनि दोष होने पर वाद-विवाद की स्थिति बनती है, व्यक्ति पर झूठे आरोप लगते हैं. इसके अलावा कोर्ट केस के मामले बनते हैं.
शराब, जुआ और अन्य गंदी आदतें भी शनि दोष का कारण बनती हैं. बनते हुए काम में अड़चने आना, कर्ज का बोझ होना, घर में आग लगना, मकान बिकना या उसका कोई हिस्सा गिरना आदि भी शनि दोष के लक्षण माने गए हैं.
जातक की कुंडली में शनि दोष होने पर समय से पहले ही व्यक्ति के बाल झड़ने लगते हैं, आंख खराब होने लगती है, कान में दर्द रहता है. शनि खराब होने से शारीरिक कमजोरी, पेट दर्द, टीबी, कैंसर, चर्म रोग, फ्रैक्चर, पैरालाइसिस, सर्दी-जुकाम, अस्थमा आदि जैसे रोग हो जाते हैं.
यदि किसी का शनि खराब है तो उसे मेहनत का फल नहीं मिलता है. नौकरी में परेशानी आती है एवं छोटी-छोटी बातों पर घर में कलह होती है.
Pooja Gautam
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कुंडली के सभी भावों पर सूर्य और शनि युति का प्रभाव
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