.किसी भी बुधवार या शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथी से आरम्भ करेँ. विघ्नहर्ता गणेश जी की प्रतिमा या चित्र सामने रख करं. संकल्प कर प्रति दिन या प्रति बुधवार को श्री संकटनाशक गणेश स्त्रोत के 12 पाठ करेँ गणेश जी को मोदक भोग लगावें. दूर्वा चढावेँ. दीप धूप आदि देँ
“श्री संकटनाशक गणेशस्त्रोतम्”
प्रणम्य शिरसा देवं गौरी पुत्र विनायकम्.
भक्तावासं स्मरेनित्यमायुः कामार्थ सिद्धये.
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्त द्वितीयकम.
तृतीयं कृष्णपिग्ङक्षं गजवक्त्रम् चतुर्थकम्.
लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकट मेव च.
सप्तमं विघ्नराजं च धुम्रवर्ण तथाष्टकम्.
नवमं भारचन्द्रं च दशमं तु विनायकभ.
एकादशं गणपति द्वादशं तु गजाननम्.
द्वादशेः तानि नामानि त्रिसन्ध्यं पठेन्नतरः.
न च विघ्न भयं तस्य सर्वसिद्ध करं प्रभो.
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्.
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्न मोक्षार्थी लभते गतिम्.
जपेत् गणपति स्तोत्रं षडभिर्मासैः फलं लभेत्.
संवत्सरेण सिद्धं च लभते नात्र संशयः.
अष्टेभ्यो ब्रम्हणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत!
तस्य विद्या भवेत सर्वा गणेशस्य प्रसादतः.
साधक पूर्ण निष्ठा से करेँ तो निश्चित लाभ होता है..
11…शास्त्रों में मुश्किल व बड़े से बड़ा काम आसान बनाने वाला बताया गया गणेश भक्ति का छोटा सा उपाय है- श्रीगणेश के 12 विशेष नामों का स्मरण कर दिन की शुरुआत करना. माना जाता है कि ऐसा करने से रुके काम भी जल्द पूरे हो जाते हैं-
गणपतिर्विघ्रराजो लम्बतुण्डो गजानन:.
द्वेमातुरश्च हेरम्ब एकदन्ती गणाधिप:..
विनायकश्चारुकर्ण: पशुपालो भवात्मज:.
द्वाद्वशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्..
सरल अर्थ है कि गणपति, विघ्रराज, लम्बतुण्ड, गजानन, द्वैमातुर, हेरम्ब, एकदन्त, गणाधिपति, विनायक, चारुकर्ण, पशुपालक व भवात्मज इन 12 नामों को सुबह उठकर बोलने या स्मरण करने पर मनचाही कामना पूरी हो जाती है.
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