नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने अपने अप्रैल 2022 के फैसले का जिक्र करते हुए कहा है कि संविधान पीठ का फैसला कम संख्या वाली पीठों पर बाध्यकारी होगा. 7 अप्रैल, 2022 के अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने कहा था कि कोई पंचायत उस जमीन के स्वामित्व का दावा नहीं कर सकती जो हरियाणा में भूमि कानून के तहत वास्तविक मालिकों से उनकी अनुमेय सीमा से ज्यादा ली गई है.
शीर्ष अदालत ने कहा था कि पंचायतें केवल उस भूमि का प्रबंधन और नियंत्रण कर सकती हैं जो मालिकों से ली गईं हैं और उस पर स्वामित्व का दावा नहीं कर सकतीं. शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2022 के फैसले की समीक्षा की अपील करने वाली याचिका पर अपना यह फैसला सुनाया. इसमें कहा गया है कि संविधान पीठ द्वारा निर्धारित कानून को अनदेखा करना और उसके बिल्कुल विपरीत दृष्टिकोण रखना एक भौतिक त्रुटि होगी.
इसमें कहा गया, हमारे विचार में संविधान पीठ के फैसले को नजरअंदाज करने से इसकी सुदृढ़ता कमजोर होगी. केवल इस संक्षिप्त आधार पर समीक्षा की अनुमति दी जा सकती थी. समीक्षा याचिका की अनुमति देते हुए पीठ ने कहा, इस न्यायालय के सात अप्रैल 2022 के फैसले के आलोक में अपील दायर करने के लिए बहाल की जाती है. पीठ ने निर्देश दिया कि अपील को सात अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए.
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