आपकी जन्म कुंडली में राजयोग है या नहीं

आपकी जन्म कुंडली में राजयोग है या नहीं

प्रेषित समय :20:32:16 PM / Sun, May 19th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
Whatsapp Channel

ज्योतिषशास्त्र में कुछ योगों को राजयोग कहा गया है. यह विशेष शुभ योग होता है और जिनकी कुंडली में यह योग पाया जाता है, उनका जीवन राजा के समान होता है. कुछ राज योग तो वास्तव में ऐसे होते हैं, जो व्यक्ति को राजगद्दी पर भी बैठा देते हैं. इसलिए अक्सर लोग यह जानना चाहते हैं कि क्या उनकी कुंडली में राजयोग है. कुंडली में बनने वाले कुछ बेहतरीन राजयोग के बारे में जानें जिनका जिक्र ऋषि भृगु ने भृगु संहिता में किया है.

सिंहासन राजयोग

महर्षि भृगु ने कहा है कि जिन लोगों की कुंडली में सभी ग्रह, दूसरे, तीसरे, छठे, आठवें और बारहवें घर में होते हैं वह महान राजयोग लेकर पैदा हुए हैं. इसे सिंहासन योग कहते हैं. इस योग को लेकर पैदा हुआ व्यक्ति राजगद्दी पर विराजमान होता है और राजा बनता है. आज के संदर्भ में बात करें तो ऐसे व्यक्ति कोई मंत्री या सरकारी क्षेत्र में उच्च पद पर विराजमान हो सकते हैं.

ध्वज राजयोग

जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में आठवें घर में अशुभ ग्रह, शनि, सूर्य, राहु मौजूद हों और शुभ ग्रह जैसे गुरु, चंद्रमा, शुक्र लग्न यानी पहले घर में मौजूद हों वह बड़े की किस्मत वाले होते हैं. ऐसे लोग ध्वज नामक राजयोग लेकर पैदा हुए हैं. ऐसे लोग समाज में आदरणीय होते हैं और बड़े राजनेता हो सकते हैं.

चाप राजयोग

जिनकी कुंडली में गुरु अपनी राशि मीन या धनु में हों. शुक्र तुला राशि में और मंगल अपनी उच्च राशि मेष में स्थित होते हैं वह धन संपत्ति के मामले में बड़े ही सौभाग्यशाली होते हैं. भृगु संहिता के अनुसार ग्रहों की इस स्थिति से चाप नामक शुभ योग बनता है जिससे व्यक्ति राजा के समान प्रभावशाली होता है.

तब चंद्रमा बनाता है राजयोग

कुंडली में चंद्रमा ग्यारहवें घर में और गुरु तीसरे घर में स्थित होने पर राजयोग बनता है. इस योग को लेकर पैदा हुआ व्यक्ति राजा के समान होता है. यह अपने समाज में प्रसिद्धि प्राप्त करता है और धन संपन्न होता है. इस तरह कुंडली के पांचवें घर में बुध और दसवें घर में चंद्रमा होने पर राजयोग का फल प्राप्त होता है.

उच्च का गुरु दिलाता है सुख

कुंडली में गुरु कर्क लग्न में बैठा हो यानी उच्च का गुरु पहले घर में बैठा हो तो बाकी ग्रह अनुकुल नहीं होने पर भी व्यक्ति बहुत ही ज्ञानी, साहसी, धनी और आदरणीय हो जाता है. ऐसे व्यक्ति समाज में आदर पाता है और राजा के समान सुख पाता है.

बुध चंद्र के संयोग से राजयोग

जिनकी कुंडली में बुध और चंद्रमा दोनों एक साथ वृष राशि में या कन्या राशि में स्थित होते हैं वह अपनी वाणी और चतुराई से जीवन में अपार सफलता प्राप्त करते हैं. भृगृ संहिता के अनुसार, यह चंद्रमा और बुध की इस स्थति राजयोग बनता है. ऐसे लोग राजनीति में भी काफी सफल होते हैं.

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

कलयुग में हर तरफ राहु ही राहु, कुंडली में इस ग्रह को शुभ कैसे करें

जन्म कुंडली में शनि दोष के लक्षण

धनु लग्न की जन्म कुंडली में गुरु के स्थान देखकर भाग्य को जानें

कुंडली के सभी भावों पर सूर्य और शनि युति का प्रभाव

कुंडली के दसवें भाव में गुरु ग्रह शुभ हो तो व्यक्ति ऊंचा पद प्राप्त कर सकता