हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।"
उनका
एक नाम तो हनुमान है ही,
दूसरा अञ्जनी सुत,
तीसरा वायुपुत्र,
चौथा महाबल,
पांचवां रामेष्ट (राम जी के प्रिय),
छठा फाल्गुनसख (अर्जुन के मित्र),
सातवां पिंगाक्ष (भूरे नेत्र वाले),
आठवां अमितविक्रम,
नौवां उदधिक्रमण (समुद्र को लांघने वाले),
दसवां सीताशोकविनाशन (सीताजी के शोक को नाश करने वाले),
ग्यारहवां लक्ष्मणप्राणदाता (लक्ष्मण को संजीवनी बूटी द्वारा जीवित करने वाले),
और बारहवां नाम है- दशग्रीवदर्पहा (रावण के घमंड को चूर करने वाले)
ये बारह नाम श्री हनुमानजी के गुणों के द्योतक हैं। श्रीराम और सीता के प्रति जो सेवा कार्य उनके द्वारा हुए हैं, ये सभी नाम उनके परिचायक हैं और यही श्री हनुमान की स्तुति है। इन नामों का जो रात्रि में सोने के समय या प्रातःकाल उठने पर अथवा यात्रारम्भ के समय पाठ करता है, उस व्यक्ति के सभी भय दूर हो जाते हैं।
आप नाम मन्त्र का जप भी कर सकते हैं
१. श्री हनुमते नमः,
२. अञ्जनी सुताय नमः,
३. वायुपुत्राय नमः,
४. महाबलाय नमः,
५. रामेष्ठाय नमः,
६. फाल्गुण सखाय नमः,
७. पिंगाक्षाय नमः,
८. अमितविक्रमाय नमः,
९. उदधिक्रमणाय नमः,
१०. सीताशोकविनाशनाय नमः,
११. लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः,
१२. दशग्रीवस्य दर्पाय नमः
Astro nirmal
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-लाल रंग का कंबल मां भगवती, लक्ष्मी, हनुमानजी आदि की पूजा के लिए सर्वोत्तम
हनुमान जंजीरा मंत्र के जाप करने से सभी तरह से रक्षा होते
उत्तरप्रदेश: डीजे बजाने को लेकर हुआ विवाद पर हनुमान मंदिर के पुजारी की पीट-पीटकर हत्या