नई दिल्ली. देश में बढ़ती हुई खाद्य महंगाई सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है. खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अब सरकार आवश्यक वस्तुओं की सूची में 16 नए नाम शामिल करने पर विचार कर रही है.सरकारी की योजना सब्जियों को भी निगरानी सूची में डालने की है. आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट में शामिल वस्तुओं की कीमतों पर सरकार नजर रखती है. नजर रखने से इनके रेट में होने वाले उतार-चढ़ाव को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है. साथ ही दाम ज्यादा बढ़ने पर सरकार रेट को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप भी करती है.
जानकारों के मुताबिक सब्जियों की कीमतों में सबसे अधिक उतार-चढ़ाव होता है. इसलिए मूल्य निगरानी वाली 16 नई संभावित वस्तुओं में सब्जियों को शामिल किया जा सकता है. फिलहाल सरकार की निगरानी सूची में 22 वस्तुएं शामिल हैं. 16 और वस्तुओं को इसमें शामिल करने से इनकी संख्या बढ़कर 38 हो जाएगी.
सरकार आवश्यक वस्तुओं के रेट में होने वाले फेरबदल पर नजर रखती है. इससे सरकार को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर इनके पड़ने वाले प्रभाव का आंकलन किया जा सके. देशभर के 167 केंद्रों से इन वस्तुओं के थोक और खुदरा कीमतों को रोजाना एकत्रित किया जाता है और इनके विश्लेषण किया जाता है. आवश्यक वस्तुओं के दाम बढने पर सरकार हस्तक्षेप करके रेटों को नियंत्रित भी करती है. इन हस्तक्षेपों को मूल्य स्थिरीकरण कोष अथवा मूल्य समर्थन योजना जैसी स्कीमों के जरिए आगे बया जाता है.
खाद्य वस्तुओं की कीमतों में मामूली गिरावट से खुदरा मुद्रास्फीति मई में घटकर 4.75 फीसदी पर आ गई है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल, 2024 में 4.83 फीसदी थी. वहीं, एक साल पहले यानी मई, 2023 में यह 4.31 फीसदी थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 8.69 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 8.70 प्रतिशत थी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-MP: रीवा में 60 बच्चे, गणतंत्र दिवस पर स्कूल में पूड़ी-सब्जी लड्डू और खाने से बिगड़ी तबियत