नई दिल्ली. तत्काल सुनवाई का संवैधानिक अधिकार कथित अपराध की गंभीरता पर निर्भर नहीं हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने आज जाली मुद्रा मामले में मुकदमा चलाने में देरी के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को कड़ी फटकार लगाई. न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला व न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कथित अपराध की गंभीरता के बावजूदए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित सुनवाई के संवैधानिक अधिकार को रेखांकित किया, क्योंकि इसने मामले में आरोपी को जमानत दे दी.
युगल पीठ टिप्पणी करते हुए कहा कि आप NIA हैं. कृपया न्याय का मजाक न बनाएं, 4 साल हो गये और मुकदमा शुरू नहीं हुआ. ऐसा नहीं किया गया. आरोपी ने जो भी अपराध किया है उसे त्वरित सुनवाई का अधिकार है. आदेश में कहा गया कि चाहे कितना भी गंभीर अपराध क्यों न हो, आरोपी को त्वरित सुनवाई का अधिकार है, जैसा कि भारत के संविधान के तहत निहित है. हम आश्वस्त हैं कि जिस तरह से अदालत और अभियोजन एजेंसी इस मामले में आगे बढ़ी है, उससे त्वरित सुनवाई का अधिकार कुंठित हो गया है. जिससे अनुच्छेद 21 का उल्लंघन हुआ है. फरवरी 2024 के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जावेद गुलाम नबी शेख को जमानत देने से इनकार कर दिया गया था. उन्हें 2020 में मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. जिससे कथित तौर पर पाकिस्तान से आए नकली नोटों की बरामदगी हुई थी. एनआईए ने बाद में जांच का नियंत्रण अपने हाथ में लेते हुए दावा किया कि शेख ने फरवरी 2020 में दुबई का दौरा किया था और वहां नकली मुद्रा प्राप्त की थी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-नीतीश सरकार ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, बिहार में आरक्षण बढ़ाकर 65 फ़ीसदी किया जाए
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