10 वर्षीय बेटी के साथ दरिंगदी करने वाले पिता मोहम्मद एच को हाईकोर्ट ने दी 101 साल की सजा..!

10 वर्षीय बेटी के साथ दरिंगदी करने वाले पिता मोहम्मद एच को हाईकोर्ट ने दी 101 साल की सजा..!

प्रेषित समय :19:25:42 PM / Wed, Jul 3rd, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
Whatsapp Channel

मल्लापुरम. केरल के मल्लापुरम में एक स्पेशल फास्ट ट्रेक  कोर्ट ने दस साल की बेटी के साथ दरिंगदी करने वाले पिता मोहम्मद एच को 101 साल जेल व आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. मोहम्मद एच के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियमए 2012 (पास्को अधिनियम), भारतीय दंड संहिता व किशोर न्याय अधिनियम की विभिन्न प्रावधानों के तहत 101 साल की जेल और आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

विशेष अदालत ने 43 साल के व्यक्ति को सजा सुनाते हुए लड़की पर अपराध के आजीवन प्रभाव पर चिंता व्यक्ति की है. माननीय जस्टिस ने कहा कि आरोपी नाबालिग का पिता होने के नाते उसकी रक्षा करने के लिए बाध्य है. उसने बच्ची के साथ जघन्य अपराध किया है. यह उसके बचपन से शुरू हुआ और 16 साल की उम्र में उसके गर्भवती होने तक जारी रहा. इसे सामान्य यौन अपराधों से नहीं जोड़ा जा सकता. हालांकि आरोपी शैक्षिक व आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार से आता है, फिर भी वह किसी दया का पात्र नहीं है. आरोपी पिता मोहम्मद एच ने अपनी बेटी का यौन उत्पीडऩ तब शुरू किया जब वह 10 साल की थी. जब वह 12 साल की हो गई तो जब उसकी मां सो रही थी या घर पर नहीं थी. तब उसके साथ बलात्कार करके उसे गंभीर यौन उत्पीडऩ का शिकार बनाया. जब वह 16 साल की थी तब लड़की गर्भवती हो गई. इसके बाद पिता उसे अस्पताल ले गया. अस्पताल में जांच में पता चला कि वह तीन माह की गर्भवती है. उस वक्त पिता ने अपनी बेटी से कहा कि वह इस बारे में किसी को न बताए लेकिन पुलिस ने अस्पताल में उसका बयान लिया. फिर उसे मंजेरी में एक बाल गृह में ले जाया गया.

नाबालिग पीडि़ता ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दिया और जज के सामने सबूत पेश किए गए. भ्रूण के साथ डीएनए नमूने प्रस्तुत किए गएए जिससे पुष्टि हुई कि मुहम्मद एच भ्रूण का जैविक पिता था. नाबालिग पीडि़ता की मां के बयान में उसके पिता और दादा पर भी गर्भधारण का आरोप लगाया गया है. परिवार के अन्य सदस्यों ने आरोपियों के खिलाफ गवाही दी. बचाव पक्ष ने दलील दी कि पीडि़ता एक अनाथालय में रह रही थी जहां वह पढ़ती थी और कभी-कभार ही घर आती थी. उन्होंने तर्क दिया कि लक्षणों की शिकायत के बाद पिता खुद लड़की को अस्पताल ले गए. इसके अतिरिक्त बचाव पक्ष ने कहा कि पीडि़ता ने अपने दादा पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया था और वह एक लड़के के साथ भाग गई थी. जिसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. जिससे पता चलता है कि उसकी गर्भावस्था का समय उसके भागने के साथ मेल खाता था. लड़की ने कहा कि वह घर पर लगातार दुर्व्यवहार के कारण भाग गई. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि माता-पिता पर भरोसा रखने वाले बच्चे के प्रति माता.पिता की ओर से ऐसे कृत्य, खासकर तब जब लड़की अपने पिता को अपना रक्षक मानती है. उसका उसके पूरे भविष्य के जीवन पर भारी प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे अपराधों का समग्र समाज पर पडऩे वाले प्रभाव पर भी विचार किया जाना चाहिए.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

कुवैत में मारे गए 45 भारतीयों के शव विशेष विमान से आज पहुंचेंगे केरल

कुवैत में भीषण अग्नि हादसा: बिल्डिंग में आग, 41 की मौत, मरने वालों में 40 भारतीय, 5 केरल निवासी

राहुल गांधी वायनाड के लोगों को लोकसभा चुनाव जीतने पर धन्यवाद देने केरल पहुंचे

मानसून केरल पहुंचा, 27 जून तक दिल्ली आने की संभावना, राजधानी दिल्ली में हीटस्ट्रोक से पहली मौत

केरल में बिरयानी खाने से एक महिला की मौत, 178 लोग अस्पताल में भर्ती, रेस्टारेंट सील