जो एकादशी व्रत नहीं करते उसे चावल खाने का निषेध नहीं

जो एकादशी व्रत नहीं करते उसे चावल खाने का निषेध नहीं

प्रेषित समय :21:01:54 PM / Tue, Jul 16th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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एकादशी को चावल नहीं खाना चाहिये इसका शास्त्रीय आधार क्या है?*

एकादशी को कोई भी अन्न नहीं खाना चाहिये। शास्त्रों में इसकी बहुत निन्दा की गई है

पद्मपुराण ब्रह्मखंड अध्याय 15 तथा क्रियायोगसारखण्ड अध्याय 22 एवं पद्मपुराण उत्तरखण्ड अध्याय 38 से 64 इन 26 अध्यायों में केवल एकादशी के महत्व का वर्णन है ।

एकादशी को अन्न खाने से पाप लगता है :-

*एकादश्यां दिने योsन्नं भुंक्ते पापं भुनक्ति स:।*

*इह लोके च चाण्डालो मृत: प्राप्नोति दुर्गतिम्।।*

*योsन्नमश्नन्ति पापिष्ठाश्चैकादश्यां हि विड्भुज:।*

*एकादश्यां द्विजश्रेष्ठ! भुक्तिमाश्रित्य केवलम्।।*

पद्मपुराण ब्रह्मखण्ड 15/11-12

ऐसे श्लोक एकादशी व्रत करने की प्रेरणा देते हैं। आयुर्वेद के अनुसार *(लङ्घनं परमौषधि:)* व्रत करने से शरीर स्वस्थ रहता है ।

*एकादशी की उत्पत्ति* मुर नामक दैत्य को मारने के लिये भगवान विष्णु के शरीर से हुई है। मुर नामक दैत्य को मारने के बाद एकादशी ने वरदान मांगा था कि आज के दिन जो व्रत रखकर आपकी पूजा करेगा वह संसार का सुख भोगकर आपके लोक को प्राप्त करेगा।

*परन्तु एकादशी को चावल नहीं खाना है यह कहां लिखा है?

बहुत अध्ययन करने के बाद भी मुझे यह नहीं मिला कि एकादशी को चावल नहीं खाना है। जब एकादशी को अन्न का भोजन ही नहीं करना है तो चावल भी अन्न में ही आता है। ऐसा तो कहीं लिखा नही है कि चावल को छोड़कर रोटी, सब्जी, पूडी, मालपुआ खाओ । *इसलिए जो व्यक्ति व्रत नहीं रखता है उसके लिए केवल चावल छोड़कर बाकी सब खाओ ऐसा कोई विधान नहीं मिला।

 

*तो फिर चावल ना खाने की परंपरा क्यों प्रारंभ हुई ?

इसका कारण मिला मुझे निर्णय सिन्धु में एकादशी व्रत निर्णय पृष्ठ 60

उपवास निषेधे विशेष: - वायवीये उक्त:-

*उपवास निषेधे तु भक्ष्यं किञ्चित्प्रकल्पयेत्।

*न दुष्यति उपवासेन-उपवास फलं लभेत्।।*

यदि उपवास मे कठिनाई आ रही हो तो कुछ खा लेना चहिये। इससे उपवास दूषित नही होता वल्कि उपवास के समान ही फल मिलता है।

*भक्ष्यं च तत्रैवोक्तम्

क्या और कब खाना चाहिये वही कहा है।

*नक्तं हविष्यान्नमनोदनं वा*

*फलं तिला: क्षीरमथाम्बु चाज्यम्।*

*यत्पंचगव्यं यदि वापि वायु:*

*प्रशस्तमत्रोत्तरमुत्तरं चेति।।*

वायुपुराण का उद्धरण निर्णय सिन्धु में

 

*ध्यान दें :- इसी श्लोक की वजह से भ्रम फैला है* एकादशी को अन्न नहीं खाना है तो चावल भी नहीं खाया जाएगा। कोई भी उपवास एक दिन पहले सायंकाल से प्रारंभ होता है। एकादशी का व्रत भी दसवीं के सायंकाल से प्रारंभ होता है। अब यहां यह कहा गया है कि यदि कोई दसवीं के सायंकाल से व्रत करने में असमर्थ है तो उसके लिए यह नियम है कुछ खा ले,पर क्या और कब खाये *नक्तम्* अमरकोश के अनुसार *नक्तम्* रात्रि को कहते हैं पर स्कंदपुराण में लिखा है कि

*दिवसस्याष्टमे भागे मन्दीभूते दिवाकरे।*

*तत्र नक्तं विजानीयान्न नक्तं निशि भोजनम्।।*

स्कन्दमहापुराण वैष्णवखण्ड मार्गशीर्ष माहात्म्य 12/14

दिन के आठ भाग कर लीजिए जो अंतिम भाग है उसी समय को नक्त कहते हैं (सायं 04:30से 06:00 के बीच का समय) रात्रि में भोजन करने को नक्त नहीं कहा जाता है।

तो सायंकाल *हविष्यान्नं* (तिल,चावल,जौ,गुड,घी) मे *अनोदनम्, न + ओदनम् = अनोदनम् ,* पका हुआ चावल यानी हविष्यान्न मे केवल चावल को छोड़कर बाकी खा सकते हैं । अथवा फल, तिल, दूध, पानी घी, पंचगव्य ( दूध, दही, घी, गोमूत्र, गोमय) अथवा वायु (उपवास) यह सभी उत्तरोत्तर श्रेष्ठ हैं। यह उस व्यक्ति के लिये कहा गया है जो सायंकाल से व्रत नहीं रख पा रहा है, कि चावल को छोड़कर इतनी चीज ऐसीदशवी की सायंकाल मे खा सकता है। व्रत ना करने वालों के लिए किसी चीज का निषेध नहीं है। एकादशी ने भगवान विष्णु से वरदान मांगा था कि :-

*उपवासञ्च नक्तञ्च एकभक्तं करोति य:।*

*तस्य धर्मश्च वित्तश्च मोक्षं देहि जनार्दन!।।*

पद्मपुराण उत्तरखण्ड 39/101

हे भगवन्! जो एकादशी का व्रत, दशमी के सायंकाल के विना व्रत किये करता है,जो एकादशी को एक समय भोजन करके व्रत करता है और जो पूरे नियम पूर्वक एकादशी का व्रत करता है उसे धर्म, धन और मोक्ष प्रदान करें।

*क्या तीनों प्रकार के व्रत करने वालों को एक जैसा फल मिलेगा ?, नही ।

*उपवासस्य यत्पुण्यं तस्यार्धं नक्त भोजने।

*तदर्धं च भवेत्तस्य एकं भुक्तं करोति य:।।

पद्मपुराण उत्तरखण्ड 39/102

जो दसवीं को सायंकाल भोजन करता है और अगले दिन व्रत )करता है तो उसे एकादशी व्रत का आधा फल 50% मिलेगा और एकादशी को व्रत रखकर एक समय भोजन करता है तो उसे उसका आधा यानी 25% फल मिलेगा।

 

*निर्णय

*1. जो व्रत नहीं करता है उसे एकादशी को चावल खाने का निषेध नहीं है।*

*2. जो एकादशी का व्रत करता है वह दशमी के सायंकाल से व्रत प्रारम्भ करें ।*

*3. अशक्त होने पर पका हुआ चावल (भात) को छोड़कर तिल,जौ, गुड, फल, दूध, पानी, घी, पंचगव्य खा सकता है।*

*4. जो दसवीं को सायंकाल से व्रत ना करके एकादशी का व्रत करता है, उसे आधा 50% फल मिलता है।*

*5.जो एकादशी को एक समय भोजन करता है उसे चौथाई 25% फल मिलता है।*

 

*निष्कर्ष :- यथा सम्भावित ग्रन्थों, पुराणों का अवलोकन करने के बाद मैंने यह पाया कि,जो एकादशी का व्रत नहीं करते हैं उसके लिए चावल खाना निषेध नहीं है । अत: यह नियम एकादशी व्रत करने वालों के लिये है कि दशमी को सायंकाल चावल न खायें।

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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