गुमला. मनुष्यों के बाद कुछ लोग सुपरमैन बनना चाहते हैं फिर वे देवता फिर भगवान और फिर विश्वगुरु बनना चाहते हैं. उक्ताशय की बात राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने झारखंड के गुमला में एक गैर-लाभकारी संगठन विकास भारती द्वारा आयोजित ग्राम-स्तरीय कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए कही. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि क्या प्रगति का कभी कोई अंत होता है.. जब हम अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं तो हम देखते हैं कि अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आगे कहा आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के विकासों का कोई अंत नहीं है. यह एक सतत प्रक्रिया है और इसीलिए हमें हमेशा थोड़ा अससमाधान पर रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि बहुत कुछ किया गया है लेकिन अभी भी बहुत कुछ बाकी है. एक कार्यकर्ता को यह सोचना चाहिए कि उसने बहुत कुछ किया है लेकिन अभी भी बहुत कुछ बाकी है क्योंकि और अधिक करने की गुंजाइश हमेशा रहती है.. समाधान तभी निकलेगा जब लगातार विकास होता रहेगा. उन्होंने कहा देश के भविष्य को लेकर कोई संदेह नहीं है. अच्छी चीजें होनी चाहिए इसके लिए सभी काम कर रहे हैं. हम भी प्रयास कर रहे हैं. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत के लोगों का अपना स्वभाव है और कई लोग बिना किसी नाम या प्रसिद्धि की इच्छा के देश के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी पूजा की शैलियां अलग-अलग हैं क्योंकि हमारे यहां 33 करोड़ देवी-देवता हैं और यहां 3800 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं. यहां तक कि खानपान की आदतें भी अलग-अलग हैं. भिन्नता के बावजूद हमारा मन एक है और दूसरे देशों में नहीं पाया जा सकता. भागवत ने कहा कि इन दिनों तथाकथित प्रगतिशील लोग उस समाज को वापस लौटाने में विश्वास करते हैं जो भारतीय संस्कृति में निहित है. उन्होंने कहा यह शास्त्रों में कहीं नहीं लिखा है लेकिन पीढ़ी दर पीढ़ी यह हमारे स्वभाव में है. उन्होंने ग्राम कार्यकर्ताओं से समाज के कल्याण के लिए अथक प्रयास करने का भी आग्रह किया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-झारखंड : देवघर में तीन मंजिला इमारत हुई जमींदोज, मलबे में दबे कई लोग, बचाव कार्य जारी
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