हॉरर कॉमेडी जॉनर की सुपरहिट फिल्म 'स्त्री' की बंपर सफलता के बाद इंडियन फिल्म इंडस्ट्री को सफलता का नया फॉर्मूला मिल गया। 'स्त्री' के निर्माताओं ने जहां इसका पूरा यूनिवर्स रचने की तैयारी कर ली है, वहीं इस फार्मूले पर तमाम दूसरी फिल्में भी आ रही हैं। इस हफ्ते सीधे OTT पर रिलीज हुई फिल्म 'काकूदा' भी इसी फॉर्मूल पर चलते हुए आपको डराने के साथ हंसाने का भी प्रयास करती है।
कहानी- यह फिल्म उत्तर प्रदेश के एक कस्बे की कहानी है। एक अजीब मान्यता के कारण वहां के मकानों में दो दरवाजे होते हैं। एक सामान्य साइज का और एक छोटे साइज का। छोटे दरवाजे को हर मंगलवार शाम 7 बजकर 15 मिनट पर खोलकर रखना जरूरी है। दरअसल, उस दौरान काकूदा नाम का भूत वहां पर आता है। अगर किसी का दरवाजा नहीं खुला नहीं मिलता, तो काकूदा उसको अपना शिकार बना लेता है और वह इंसान 13वें दिन इस दुनिया से चला जाता है। गांव में रहने वाला सनी (साकिब सलीम) और उसके पिताजी गांव के दूसरे लोगों की तरह हरेक मंगलवार को काकूदा के लिए छोटा दरवाजा खोलना नहीं भूलते। लेकिन एक मंगलवार को सनी अपनी प्रेमिका इंदिरा (सोनाक्षी सिन्हा) के चक्कर में काकूदा का शिकार बन जाता है। परेशान इंदिरा काकूदा नाम की मुसीबत से निपटने के लिए अपने घोस्ट हंटर दोस्त विक्टर (रितेश देशमुख) को बुलाती है। क्या इंदिरा, विक्टर के साथ मिलकर सनी को काकूदा के चंगुल से बचा पाती है? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
'काकूदा' में 'स्त्री' जैसा ह्यूमर और हंसी- मजाक नजर नहीं आता है। खासकर सेकंड हाफ में फिल्म आपको निराश करती है। जबकि फिल्म का क्लाईमैक्स भी मजेदार नहीं बन पड़ा है। बात कलाकारों की एक्टिंग की करें, तो सोनाक्षी सिन्हा ने अपने रोल में ठीकठाक काम किया है। लेकिन साकिब सलीम और रितेश देशमुख अपने रोल में जान नहीं डाल पाए हैं। बाकी कलाकारों के पास फिल्म में करने के लिए कुछ खास नहीं था।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सैमसंग लाया जबरदस्त स्मार्टफोन, डिस्प्ले से लेकर बैटरी तक सब है खास
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