लापता हो गई खुशियां मेरी

लापता हो गई खुशियां मेरी

प्रेषित समय :20:58:15 PM / Sun, Jul 21st, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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दमयंती
कक्षा-11वीं
गरुड़, उत्तराखंड

लापता हो गई खुशियां मेरी,
गम ज्यादा दूर न था,
वक्त कैसे कटा ये पता न था,
जब वक्त के हाथों मजबूर थी,
मैं तो पुराना खंडहर हो गई,
जो कभी जगमगाया करती थी,
वो बुझा हुआ दीया हो गई,
जो अंधेरों से डरती थी,
इतनी बुरी तो नहीं थी मैं,
जितना बुरा वक्त आ गया,
इतना तो जगमगाई भी नहीं थी,
फिर क्यों मातम सा छा गया?
अब तो किसी की आहट भी तकलीफ देती है,
कानों को आदत नहीं है अब किसी आवाज की,
इसलिए अब मेरी कहानी, मेरी कलम लिखती है

चरखा फीचर

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