प्रत्येक ग्रह की स्वयं की किरणें या रश्मियां ( तरंगे) होती हैं. सम्पूर्ण धरती में पड़ने वाले सूर्य और चंद्रमा का प्रत्यक्ष भौतिक प्रभाव तो हम प्रतिदिन देखते ही हैं.
इसी प्रकार जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो ज्योंही वह पृथ्वी के वायुमंडल के संपर्क में आता है उस समय समस्त ग्रहों की तरंगों का प्रभाव उस पर पड़ता है. उस समय वह बच्चा ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही उनकी तरंगों से प्रभावित होगा. जन्म कुण्डली तात्कालिक आकाश मण्डल का खाका ही तो है. ये विशुद्ध गणित है जिसे दुनिया की कोई भी वैज्ञानिक रिसर्च फेल नहीं कर सकती है. यहां तक कि आधुनिक विज्ञान तमाम वैज्ञानिक उपकरणों की मदद के बावजूद इतनी स्पष्ट जानकारी नहीं दे सकती है. क्योंकी ज्योतिष ना सिर्फ उस समय ब्रह्मांड में ग्रहों की स्थिति बताता है बल्कि ये भी बताता है कि उस वक्त बच्चे पर ग्रहों की किरणों का प्रभाव कैसा पड़ेगा. आश्चर्य तो तब होता है जब उस बच्चे पर पूरी जिंदगी भर तात्कालिक ब्रह्मांडीय स्थिति का प्रभाव बना रहता. और ये प्रभाव उसके मन, बुद्धि, शरीर.. हर जगह दिखाई देते हैं.
हम जानते हैं कि स्वस्थ शरीर के लिए हमारे शरीर में पानी, लवण, ग्लूकोज, विटामिन्स आदि के उचित अनुपात की आवश्यकता है. उसी प्रकार हमारे इस जीवन में प्रत्येक ग्रह किसी ना किसी आयाम का प्रतिनिधित्व करता है. अगर इन ग्रहों की ऊर्जाओं का अनुपात असंतुलित होगा तो निश्चित रूप से हमारा जीवन भी असंतुलित हो जाता है. इसका असर हमारे लिए शारीरिक, मानसिक समस्याओं के साथ साथ हमारी जिन्दगी से जुड़े सभी पहलुओं में नजर आता है.
रत्न क्या करते हैं?
रत्न ग्रहों की ऊर्जाओं को बैलेंस करने का काम करते हैं. क्योंकि रत्न का अपना एक अलग विज्ञान है. किसी विशेष ग्रह के लिए विशेष रत्न धारण करना पड़ता है. ताकि वह उस ग्रह की तरंगों को सोखकर हमारे शरीर में प्रवाहित कर सके. ज्योतिष का ज्ञान रखने वाले को ये समझना जरूरी है कि अमुक व्यक्ति के अंदर ग्रहीय ऊर्जाओं का संतुलन कैसे स्थापित किया जा सकता है, जोकि किसी व्यक्ति की संपूर्ण कुंडली विश्लेषण करके ही पता किया जा सकता है. अगर जानकारी के अभाव में गलत रत्न धारण कर लिया जाए तो वो लाभदायक होने के बजाय नुकसान ही पहुंचाएगा. क्योंकि उससे ग्रहों की एनर्जी का तारतम्य बिगड़ने की पूरी संभावना है. ठीक उसी प्रकार जैसे गलत दवा का प्रयोग हमारे लिए नुकसानदायक साबित होता है.
पंडित सौरभ दुबे
काशी
Contact Whatsapp Only--9198818164
ज्योतिष परामर्शज्योतिषीय उपाय (ग्रह और आप )
कुंडली के अनुसार साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव में बिना किसी कारण कलंक और बदनामी
कुंडली में षोडश वर्ग को समझे फिर देखें फलादेश की सटीकता व सफलता
जन्म कुंडली के अनुसार अष्टम भाव में गुरू का प्रभाव
जन्म कुंडली के सप्तम भाव में सूर्य शनि की युति हो तो दो शादी के योग