कुंडली के अनुसार साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव में बिना किसी कारण कलंक और बदनामी

कुंडली के अनुसार साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव में बिना किसी कारण कलंक और बदनामी

प्रेषित समय :20:44:11 PM / Wed, Jul 3rd, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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कलंक या बदनामी किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बुरा समय कहा जा सकता है. जीवन में कई बार आप कुछ भी गलत नहीं कर रहे होते हैं, फिर भी जब समय चक्र की गति विपरीत होती है, तो आप इसके निशाने पर आ जाते हैं. आप किसी के बारे में अच्छा सोचते हैं और अच्छा करते हैं, लेकिन वही व्यक्ति आपके बारे में गलत धारणा बना लेता है. यह स्थिति डरावनी होती है, क्योंकि ऐसी स्थिति से छुटकारा पाना बहुत मुश्किल होता है.

ऐसी स्थितियों के लिए सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार ग्रह शनि है. आमतौर पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या में सबसे ज़्यादा प्रतिकूल परिणाम देखने को मिलते हैं. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली के अनुसार वह साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव में है, तो उसे अक्सर बिना किसी कारण के कलंक और बदनामी का सामना करना पड़ता है.
इसके अलावा कुंडली में कई अन्य ग्रह संयोजन भी ग्रहों की दोषपूर्ण स्थिति के कारण व्यक्ति को बदनामी का सामना करवा सकते हैं. ख़ास तौर पर प्रेम संबंधों में, बदनामी एक ऐसा विषय है जो अक्सर जीवन में तब सामने आता है जब दोष युक्त ग्रह स्थिति होती है.  ऐसे व्यक्ति को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और अपने मन पर नियंत्रण रखना चाहिए. कुछ विशेष प्रकार के ज्योतिषीय योगों के बारे में जो किसी को भी प्रेम में बदनाम कर सकते हैं. अक्सर शनि का दोष व्यक्ति को प्रेम संबंध में बदनामी का कारण बन सकता है. यदि कुंडली के पंचम भाव में शनि स्थित हो और उसके साथ किसी अन्य क्रूर ग्रह की युति या दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति को प्रेम में अपयश का सामना करना पड़ सकता है.
दूसरी स्थिति राहु या केतु की खराब दशा में तब होती है जब व्यक्ति मतिभ्रम का शिकार हो जाता है. खुद को श्रेष्ठ समझने लगता है और परिणामस्वरूप वह अक्सर गलतियां कर बैठता है. जब राहु और केतु किसी क्रूर या पापी ग्रह के साथ हों तो इनके बुरे प्रभाव और भी भयावह हो जाते हैं.
ऐसे ही अपयश या बदनामी देने वाले दर्जनों ग्रह योग होते हैं. जैसे कि यदि नवमांश कुंडली में शुक्र और मंगल की युति किसी भी राशी में बने तो भी बदनामी योग बनता है . ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को प्रेम प्रणय का कारक मानते हैं. और मंगल को उत्तेजना का कारक कहा जाता हैं. जब भी प्रेम और उत्तेजना कि युति योगी तो बदनामी योग का निर्माण होगा .
यदि कुंडली में 5,7,11,12 भाव में क्रूर या दुष्ट ग्रहों की युति या द्रष्टि संबंध बने तो बदनामी योग का उपयोग व्यावसायिक कार्यों में होता है और यदि कुंडली में 5,8,12 भावेशो की युति या द्रष्टि संबंध बने तो बदनामी या लांछन का प्रबल योग भी बनता है. क्यों कि अष्टम भाव बदनामी का भाव होता हैं और यदि इस योग में 1,5,6,8,12 व् शनि की युति भी हो जाये तो जातक किसी कोर्ट केस में उलझ जाता है.
साथ ही राहू और शुक्र की युति विरोधी सेक्स के प्रति तीव्र आकर्षण और गुप्त संबंधों का निर्देश देते हैं. राहू के साथ शुक्र के जुड़े होने से जातक को अपने चरित्र में सयंम बनाये रखने के लिये स्वयं से संघर्ष करना पड़ता है.
इसी तरह अन्य आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यवसायिक, क़ानूनी आदि मामलों में बदनामी, लालछन, कलंक आदि योगों के लिये अन्य भावेश और ग्रह फलों का भी अध्ययन अनिवार्य है | बस आवश्यकता है जातक के जन्म के समय के स्पष्ट जानकारी और उसके सटीक विशलेषण की और इन आरोपों से बचने के लिये शास्त्र सम्मत सही पध्यति से उपाय कर के बचा भी जा सकता है.

Scientific planet astrology research

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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