अभिमनोज
बॉंबे हाईकोर्ट का कहना है कि- बलात्कारी की मदद करना भी रेप करने के बराबर है.
खबर है कि.... अपनी दोस्त के साथ एक लड़की 14 जून, 2015 को चंद्रपुर में मंदिर में दर्शन करने गई थीं, दर्शन के बाद जब वे एक पेड़ के नीचे बैठी थीं, तब वहां संदीपे, कुणाल, शुभम और अशोक, चार लड़के पहुंचे.
इन चारों ने अपनेआप को वन विभाग का आधिकारी बताते हुए दस हजार रुपये की रिश्वत मांगी, इनकार करने पर दोनों लड़कियों के मोबाइल फोन छीनकर उनकी पिटाई की और. इसके बाद संदीप और शुभम ने एक लड़की के साथ बलात्कार किया, जबकि कुणाल और अशोक ने अपनी सहेली को बचाने की कोशिश कर रही दूसरी लड़की को पकड़े रखा.
बाद में ये चारों आरोपित फारेस्ट गार्ड के पहुंचने पर फरार हो गए थे.
पीड़िता और उसकी दोस्त के पुलिस से शिकायत करने पर मेडिकल टेस्ट में रेप करने की पुष्टि हुई थी, पुलिस ने इन चारों आरोपितों को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में पेश किया था.
खबरों की मानें तो.... चंद्रपुर सत्र न्यायालय ने 20 अगस्त, 2018 को चारों आरोपितों को दोषी मानते हुए 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई, जिसके बाद आरोपित बॉंबे हाईकोर्ट पहुंचे थे.
इस मामले में कुणाल और अशोक ने अपने खिलाफ गैंगरेप के आरोप को गलत बताया था, लेकिन सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सजा को सही माना और कहा कि- गैंगरेप केस में महज वो दोषी नहीं है, जो रेप करता है, यदि किसी ग्रुप में कोई एक शख्स रेप करता है और बाकी लोग सहयोग करते हैं तो सभी उस रेप के दोषी माने जाएंगे और उन्हें सजा दिलाने के लिए यह काफी है.
इसके बाद अदालत की ओर से दोषी करार दिए गए चार लोगों की याचिका को खारिज करते हुए उनकी सजा बरकरार रखी गई है!
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