ज्योतिष के आधार पर शादी के लिए लड़की/लड़का में निम्न गुणों का विचार कर लेना चाहिए-
स्वास्थ्य
सुस्वभाव (शालीनता)
सुशिक्षा
सौभाग्य (विधवा/विधूर योग का अभाव)
पतिव्रता (दुश्चरित्र योग का अभाव)
संतति सुख (वन्ध्या योग का अभाव)
ज्योतिष के आधार पर शादी के लिए लड़की/लड़के में निम्न कमियों का भी विचार भी कर लेना चाहिए-
अरिष्ट योग
मांगलिक योग
कुचरित्र योग
विधवा/विधूर योग
वन्ध्या योग
काक वन्ध्या योग
विषकन्या योग आदि.
इस प्रकार दोनों के गुण -अवगुणों का विचार करने के बाद हीं वर-वधु की जन्म कुंडलियों का मिलान करना चाहिए .
(Note:- यहां ध्यान रहे कि "कुंडली मिलान" एक विस्तृत प्रक्रिया है. ज्योतिष शास्त्र में ज्ञान के अभाव वश प्रायः "चंद्र मिलान या गुण मिलान" को ही भ्रमवश कुंडली मिलान समझ लिया जाता है; जबकि ऐसा नहीं है. "चंद्र मिलान या गुण मिलान" संपूर्ण कुंडली मिलान का केवल 6% होता है; बाकी के संपूर्ण कुंडली मिलान के 94% भाग विस्तृत कुंडली मिलान प्रक्रिया ही है.)
अतः वर-वधू के संपूर्ण गुण-अवगुणों को देखने के बाद, उसकी विस्तृत कुंडली मेलापक के बाद ही विवाह के लिए निर्णय करना चाहिए.
ज्योतिष के अनुसार कुंडली के सातवें भाव में सूर्य के प्रभाव को जानना चाहिए
कुंडली के अनुसार साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव में बिना किसी कारण कलंक और बदनामी
जन्म कुंडली के अनुसार अष्टम भाव में गुरू का प्रभाव
कुंडली में षोडश वर्ग को समझे फिर देखें फलादेश की सटीकता व सफलता
जन्म कुंडली के सप्तम भाव में सूर्य शनि की युति हो तो दो शादी के योग