भारत विश्व का सबसे मनोहर देश है और सदियों से विदेशियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा हैं जहाँ छः अलग अलग ऋतुओं का संगम है. भारत के उत्तर में हिमालय इसकी शोभा बढ़ाता है तो वहीं दूसरी और शत्रु देशों से भारत की रक्षा करता है. यह धरती देवी देवताओं, संतों ऋषियों और महापुरुषों की है. एक से एक योगी पुरुष ने इस धरा पर जन्म लिया. ग्रन्थ शास्त्रों की रचना यहां हुई. रामायण, गीता, वेद शास्त्र उपनिषद और महाभारत यहीं पर हुआ. यहाँ के लोग बड़े भोले भाले और आगंतुकों का सत्कार करने वाले हैं. इतिहास इस बात का साक्षी है कि इस धरती पर विदेशी लुटेरे बनकर आए और यहाँ से जो चाहा लूटकर ले गए लेकिन भारत आज भी प्रगतिशील है. भारत की पवित्र भूमि ने जहाँ एक और शूरवीर एवं साहसी राजाओं को जन्म दिया वहीं दूसरी और यहाँ एक से एक शूरवीर योद्धा और सैनिक पैदा हुए हैं. कर्ण जैसे दानवीर इस भारत की शोभा बढ़ाते हैं. सत्य पर चलने वाले यदि कहीं है तो वह मेरा भारत है. अपने वचन के लिए राजा हरिश्चंद्र ने सब कुछ बलिदान कर दिया था. यह धरती वास्तव में नारी प्रधान है. माँ का सम्मान बहन का आदर पत्नी को समानता पुत्री को लक्ष्मी इसी धरा पर समझा जाता रहा है. यह देश न केवल पुरुष प्रधान है अपितु नारी शक्ति प्रधान देश है.
यदि हम इतिहास पर दृष्टिपात करें तो पाते हैं कि भारत की भूमि, सम्पदा, प्राकृतिक सौंदर्य और यहाँ तक कि भारत की नारी जाति पर भी प्रहार हुए हैं. भारत पर अनेक वर्षों तक बाहर के लोगों ने आकर राज किया है और इन सबका कारण कही न कही आपसी फुट और एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या रही है. घर के भेदी ने ही अपने देश को क्षति पहुंचाने वाले शत्रुओं के साथ मित्रता कर उन्हें राज करने के योग्य बनाया है. हमारे देश पर वर्षों तक अफगानों, मुग़लों और फिर अंग्रेजों ने राज किया है. इस धरती के सच्चे रक्षक भारत माता के सच्चे वीर सपूत महाराणा प्रताप, पृथ्वी राज चौहान, छत्रपति शिवाजी, दसवें पातशाह गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने बलिदान देकर भी भारत की संस्कृति एवं देश की रक्षा करने में पूरा जोर लगाकर ये सिद्ध कर दिया कि भारत जहाँ एक और आगंतुकों को मान सम्मान और सहारा देने के लिए जगत प्रसिद्ध है वही दूसरी और कुदृष्टि रखने वालों की आँख भी नोच सकता है.
16वीं शताब्दी में जब अँग्रेज़ भारत में व्यापारी बनकर आये तो उन्होंने भारत को खूब लुटा और देश के अंदर एक दूसरे के प्रति लड़ाई और नफरत की ऐसी आंधी चलाई कि देश के अनेक राजाओं के राज छीन लिए गए, उन्हें दत्तक पुत्र गोद लेने से रोका गया और उनके राज्य पर अपना स्वामित्व स्थापित कर पुरे भारत पर राज किया. जब अंग्रेजों ने हिंदुओं को गोमांस से बने कारतूस चलाने को मजबूर किया तब पहली बार 1857 की क्रांति का श्रीगणेश हुआ और अकेले मंगल पांडे ने अंग्रेजो से टक्कर लेकर यह सिद्ध कर दिया कि एक हिंदुस्तानी देश की आन बान और शान के लिए हँसते हँसते अपना बलिदान दे सकता है. इसके पश्चात तो हज़ारों जवान देश को स्वतंत्र कराने के लिए रणक्षेत्र में कूद पड़े. जब एक हिंदुस्तानी किसी बात पर अड़ जाता है तो वह अपने प्राणों की परवाह किये बिना अपने लक्ष्य की और आगे बढ़ता है और इसका एक स्पष्ट उदाहरण भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने दिया कि वे हँसते हँसते फांसी के फंदे पर झूल गए और चूं तक नहीं की. अपनी सज़ा को माफ़ी कराने के लिए नहीं गिड़गिड़ाए. खुदी राम बोस जैसे 18 वर्षीय युवा ने शिक्षा छोड़कर देश की स्वतंत्रता का आंदोलन स्वीकार किया और हाथ में गीता लेकर फांसी के फंदे को चूम लिया.
आखिर स्वतंत्रता सेनानियों का त्याग और उनका बलिदान सफल हुआ और हमारा देश स्वतंत्र हो गया. अब प्रश्न यह है कि जिन हज़ारों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को स्वतंत्र करने में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया इसके पीछे उनका क्या स्वप्न था. उन्होंने कैसे भारत की कल्पना की थी. क्या उन्होंने कभी ऐसा सोचा होगा कि जिस देश को वे स्वतंत्र कराना चाहते हैं वो देश आंतरिक रूप से आंतरिक झगड़ों, विवाद और कलह का शिकार होगा. धर्म और जाति के नाम पर दंगे होंगे. यहाँ के लोग स्वार्थ के वशीभूत होकर केवल और केवल अपने बारे में सोचेंगे. मानव मानव का शत्रु बन जाएगा. व्यक्ति नशों का सौदागर बन जाएगा और युवा नशे की दलदल में चली जाएगी. परिवार नशे के कारण उजाड़ जाएंगे. किसी माँ की कोख सुनी होगी किसी बहन का सिंदूर और किसी बहन की राखी आज सुनी रह जाएगी. कर्तव्य विमुखता, बेईमानी व् भ्रष्टाचार का साम्राज्य बढ़ेगा. देशभगतों को मान सम्मान नहीं मिलेगा. जी नहीं उन्होंने ऐसा कदापि नहीं सोचा होगा क्योंकि वे तो एक ऐसे भारत की कल्पना करते थे जो विश्व के लिए आदर्श हो.
तो आइये हम सब मिलकर हमारे शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हुए उनका गुणगान करें. उनके चरित्र हमारे इतिहास का अंग बने. हमारी आने वाली पीढ़ियां उनसे सीख लेकर केवल और केवल देश प्रेम की भावना सीखे और भारत देश एक ऐसा सशक्त देश बनकर उभरे कि लोग यहाँ के नागरिकों को बारम्बार नमन करें. इस धरती को झुककर नमन करें. यहाँ की संस्कृति और सभ्यता को अपनाएँ.
हम देश की रक्षा में तत्पर वीर जवानों को भी नमन करते हैं- हे वीर जवान! भूल न पाएंगे हम तेरा बलिदान. देश की रक्षा की खातिर तू मिट गया, तू है बहुत महान. तू सीमा की रक्षा करता, शत्रुओं से नहीं है डरता. सीमा की सुरक्षा हेतु, शत्रु से लोहा लिया है करता. घर परिवार से दूर, मां बाप से दूर, तू भारत मां का प्यारा है. चैन की नींद हम सो सकें, तू सीमा पर पहरा दिया करता है. तुझे भी घर की याद सताती है मां बीवी, तुझे बुलाती है. भारत मां की रक्षा किए बिना मुझे यह बात नहीं भाती है. हे वीर जवान! भूल न पाएंगे…….. सैनिक कहता है- मैं तो तेरा लाल हूं मां,
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-#CourtNews दिल्ली हाईकोर्ट- सरकार का दीपावली या ईद की बधाई देना, धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ नहीं है!
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