नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की उस याचिका पर अपना फैसला सुनाया है, जिसमें उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से राज्य कैबिनेट की सलाह के बिना दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में 10 एल्डरमैन की नियुक्ति की गई. सुप्रीम कोर्ट से आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. उसने दिल्ली सरकार की याचिका खारिज कर दी. दिल्ली सरकार का कहना था कि उससे सलाह के बिना एलजी ने मनमाने तरीके से इनकी नियुक्ति की.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया दिल्ली के उपराज्यपाल के पास दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह के बिना दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन को नामित करने की शक्ति है. अदालत ने माना कि यह शक्ति 1993 के दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) अधिनियम के तहत आने वाली एक वैधानिक शक्ति है और इसलिए राज्यपाल को दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करने की आवश्यकता नहीं है. चूंकि यह एक वैधानिक शक्ति थी ना कि कार्यकारी शक्ति, इसलिए एलजी से अपेक्षा की गई थी कि वह वैधानिक आदेश के अनुसार कार्य करेंगे, ना कि दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह के अनुसार.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल स्वतंत्र रूप से डीएमसी के लिए 10 एल्डरमैन को नामित कर सकते हैं. यह कहना गलत है कि दिल्ली एलजी की शक्ति सिमेंटिक लॉटरी थी. एलजी बिना सलाह के सीधे नियुक्त कर सकते हैं. यह संसद द्वारा बनाया गया कानून है, यह एलजी द्वारा प्रयोग किए गए विवेक को संतुष्ट करता है, क्योंकि कानून के अनुसार उन्हें ऐसा करना पड़ता है और यह अनुच्छेद 239 के अपवाद के अंतर्गत आता है. यह 1993 डीएमसी अधिनियम था जिसने पहली बार एलजी को पहले से मनोनीत करने की शक्ति प्रदान की थी और यह कोई अवशेष नहीं है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सुप्रीम कोर्ट का निर्णय, चुनावी बॉन्ड योजना की नहीं होगी एसआईटी जांच, खारिज की याचिका
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