*25 अगस्त : रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से 26 अगस्त प्रातः 03:39 तक) (यह सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी है. इसमें ध्यान, जप, मौन आदि का अक्षय प्रभाव होता है .
*26 अगस्त : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी ("जो जन्माष्टमी का व्रत रखता है उसे करोड़ों एकादशी व्रत करने का पुण्य प्राप्त होता है और उसके रोग, शोक दूर हो जाते हैं." - भगवान ब्रह्माजी*
*"20 करोड़ एकादशी व्रतों के समान अकेला जन्माष्टमी का व्रत है." - भगवान श्रीकृष्ण*
*जन्माष्टमी को रात्रि-जागरण करके ध्यान, जप आदि करने का विशेष महत्त्व है *
*29 अगस्त : अजा एकादशी (इसका व्रत सब पापों का नाश करनेवाला है. इसका माहात्म्य पढ़ने-सुनने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है .
*02 सितम्बर : सोमवती अमावस्या (सूर्योदय से 03 सितम्बर सूर्योदय तक) (यह सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी है. इसमें ध्यान, जप, मौन आदि का अक्षय प्रभाव होता है. इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है .
*06 सितम्बर : चतुर्थी (चन्द्र-दर्शन निषिद्ध, चन्द्रास्त : रात्रि 08:56)*
*07 सितम्बर : गणेश चतुर्थी (चन्द्र-दर्शन निषिद्ध, चन्द्रास्त : रात्रि 06:27) (अगर भूल से चन्द्रमा दिख गया तो उसके कुप्रभाव को मिटाने के लिए स्यमंतक मणि की चोरी की कथा पढ़ें .
*तृतीया (05 सितम्बर) व पंचमी (08 सितम्बर) का चाँद देख लेने से चतुर्थी का चाँद लापरवाही या बेवकूफी से दिख जाय तो भी उसका प्रभाव कम हो जायेगा .*
*गणेश चतुर्थी के दिन 'ॐ गं गणपतये नमः .' मंत्र का जप करने और गुड़मिश्रित जल से गणेशजी को स्नान कराने एवं दूर्वा व सिंदूर अर्पित करने से विघ्न-निवारण होता है तथा मेधाशक्ति बढ़ती है .
*11 सितम्बर : बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से रात्रि 11:46 तक) (सूर्यग्रहण के बराबर . ध्यान, जप, मौन आदि का अक्षय प्रभाव .
*14 सितम्बर: पद्मा-परिवर्तिनी एकादशी (व्रत करने व महात्म्य पाठ-सुनने से सभी पापों से मुक्ति)*
*16 सितम्बर ; षडशीति संक्रांति (पुण्यकाल : दोपहर 12:21 से सूर्यास्त तक) (इसमें किये गये ध्यान, जप व पुण्यकर्म का फल 86 हजार गुना होता है. - पद्म पुराण
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