अभिमनोज
दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट के आश्वासन के बाद अपनी हड़ताल खत्म कर दी है, उधर आरएमएल अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी हड़ताल वापस ले ली है.
उल्लेखनीय है कि.... कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप और मर्डर की घटना के खिलाफ हो रहे दिल्ली एम्स में अनिश्चितकालीन प्रदर्शन के कारण सेवाएं बाधित हो रही थीं और मरीज परेशान हो रहे थे, इसी के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों से हड़ताल समाप्त करने की अपील की थी.
खबर है कि.... सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार, 22 अगस्त 2024 को भी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई रेप और मर्डर की घटना पर सुनवाई हुई, इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की एसोसिएशन को यह भरोसा दिलाया कि नेशनल टास्क फ़ोर्स सभी पक्षों को सुनेगी.
खबरों की मानें तो.... अदालत ने यह भी कहा कि अगर डॉक्टर काम नहीं करेंगे तो सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं कैसे काम करेंगी?
याद रहे, देशभर में जारी विरोध प्रदर्शन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल पेशेवरों, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रमुख मुद्दे पर विचार करने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फ़ोर्स का गठन किया है, जिसे तीन सप्ताह के भीतर अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया है.
उधर, एम्स नागपुर के डॉक्टरों का कहना था कि- विरोध प्रदर्शन के कारण उनको परीक्षा में बैठने नहीं दिया जा रहा, जिस पर अदालत ने प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को पहले काम पर लौटने के लिए कहा और यह आश्वासन दिया कि उनके काम पर लौटने के बाद कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी.
इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि- सरकारी अस्पतालों में आनेवाले तमाम मरीज़ों के साथ हमारी संवेदनाएं हैं, अदालत सीबीआई की रिपोर्ट को देख रही है, यह बेहद चौंकानेवाला है कि- मामले के अप्राकृतिक मौत दर्ज होने से पहले ही शव का पोस्टमार्टम कर दिया गया.
इसके साथ ही अदालत ने कोलकाता पुलिस के उस ऑफ़िसर को अगली सुनवाई में मौजूद रहने का आदेश भी दिया है, जिन्होंने सबसे पहले इस मामले को दर्ज किया था.
इस माले में सीबीआई ने अदालत को यह भी बताया कि- पीड़ित के दोस्त से शक के आधार पर पूछताछ की गई है और उसकी वीडियोग्राफ़ी भी हुई है, प्रादेशिक पुलिस ने पहले पीड़िता के माता-पिता को खुदकुशी की बात बताई और बात में कहा कि हत्या की गई थी.
इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि- सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बात है कि पीड़िता का अंतिम संस्कार हो जाने के बाद रात के पौने 11 बजे एफ़आईआर दर्ज की गई.
इस सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि- कृपया डॉक्टरों को आश्वस्त करें, हम उनके बारे में चिंतित हैं, कि उन्हें 36 घंटे काम करना पड़ता है... हम सभी के परिवार के सदस्य, रिश्तेदार हैं जो सरकारी अस्पतालों में गए हैं, मैं एक सरकारी अस्पताल के फर्श पर सोया हूं, जब परिवार में कोई बीमार था, हम इस दौर से गुजरे हैं, हमने डॉक्टरों को 36 घंटे काम करते देखा है!
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