RDSO का दावा: स्टाफ का अभाव-काम का बढ़ता तनाव, ट्रेन कंट्रोलर परेशानी के बीच संभाल रहे रेल ट्रैफिक

RDSO का दावा: स्टाफ का अभाव-काम का बढ़ता तनाव

प्रेषित समय :18:59:41 PM / Sun, Aug 25th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. लगातार हो रहे रेल हादसों को लेकर लोगों की परेशानी बढ़ रही है. वहीं रेलवे में हर स्तर पर स्टाफ का अभाव कर्मचारियों का तनाव बढ़ा रहा है. हाल ही में रेलवे के अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) की रिपोर्ट में सामने आया है कि ट्रेन कंट्रोलर काफी परेशानियों और चुनौतियों से जूझ रहे हैं. उनको न तो उचित वेतन मिल रहा है और न ही आराम. नियंत्रण विभाग में लंबे समय से भर्ती न होने से कर्मचारियों पर काम का दबाव और तनाव बढ़ रहा है.

रेलवे बोर्ड को सौंपी गई रिपोर्ट में आरडीएसओ ने कहा है कि ट्रेन संचालन की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए ट्रेन और सेक्शन कंट्रोलरों की भर्ती करना, प्रशिक्षण देना और बुनियादी सुविधाओं में सुधार जरूरी है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में रोज हजारों ट्रेनें लगभग 1,05,555 किमी लंबे ट्रैक के विभिन्न खंडों से गुजरती हैं. ट्रेन संचालन पर 68 ऑपरेशन केंद्रों द्वारा नजर रखी जाती है. मंडल नियंत्रण कार्यालय से ही ट्रेनों का विभिन्न रेलखंडों में संचालन होता है. इसलिए यह कार्यालय 24 घंटे काम करता है. आरडीएसओ टीम ने विभिन्न मंडल नियंत्रण कार्यालयों से डाटा जुटाया और पाया कि रेलवे के मंडल नियंत्रण कार्यालयों में 15 से 24 फीसदी तक रिक्तियां हैं.

स्टाफ न होने से काम प्रभावित होता है. किसी कठिन परिस्थिति में तो हालात और खराब हो जाते हैं. वहीं रेलवे प्रशासन को कर्मचारियों के आराम और छुट्टी के प्रबंधन में भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. इसलिए प्राथमिकता के आधार पर विश्लेषण किया जाना चाहिए और रिक्ति को भरने का प्रयास किया जाना चाहिए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सेक्शन कंट्रोलर 24&7 काम करते हैं. उनकी शिफ्ट को मानव रहित नहीं छोड़ा जा सकता है. उनको 30 घंटे के साप्ताहिक आराम की आवश्यकता होती है, लेकिन स्टाफ न होने से उनकी भी साप्ताहिक आराम या छुट्टी की व्यवस्था करने में समस्या होती है. इससे वे थका हुआ महसूस करते हैं और उनका काम प्रभावित होता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सेक्शन कंट्रोलर या ट्रेन कंट्रोलर के 75 फीसदी पद पहले स्टेशन मास्टर, ट्रेन मैनेजर और ट्रेन क्लर्क के कैडर से भरे जाते थे. मगर सातवें वेतन आयोग में सेक्शन कंट्रोलर का वेतन स्टेशन मास्टर के बराबर कर दिया गया. जबकि पहले यह अधिक था. इसलिए स्टेशन मास्टर संवर्ग ने इस पद के लिए आवेदन करना बंद कर दिया और कैडर में कर्मचारियों की कमी होने लगी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सेक्शन या ट्रेन कंट्रोलर श्रेणी में भर्तियों को आकर्षक बनाने के लिए प्रारंभिक वेतनमान को ग्रेड 4200 से ग्रेड पे 4,600 तक अपग्रेड करने, भर्ती/चयन में योग्यता परीक्षण की शुरुआत, प्रशिक्षण की अवधि में विस्तार की जरूरत है. साथ ही सेक्शन कंट्रोलर पद पर 2020 में बंद की गई सीधी भर्ती को फिर से शुरू करने की जरूरत है.  रिपोर्ट में कहा गया कि सेक्शन कंट्रोल ऑफिस में आरओ, चाय-कॉफी वेंडिंग मशीन और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं. इसकी भी जरूरत है. साथ ही सेक्शन कंट्रोलर रक्तचाप, मधुमेह या हृदय रोग से पीडि़त हैं. इसलिए उनकी चिकित्सा जांच (पीएमई) की सिफारिश की जाती है. 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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