दिसपुर. असम विधानसभा में मुस्लिम लोगों के विवाह व तलाक के अनिवार्य सरकारी पंजीकरण के लिए एक विधेयक पारित किया है. जो 1935 के अधिनियम का स्थान लेगा जो अब तक राज्य में इन मामलों को नियंत्रित करता था. इसे एक ऐतिहासिक दिन बताते हुए असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि उनकी सरकार का अगला लक्ष्य बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाना होगा.
सोशल मीडिया पोस्ट एक्स में सीएम श्री सरमा ने कहा कि यह अधिनियम अब सरकार के साथ विवाह को पंजीकृत करना अनिवार्य कर देगा. अब लड़कियों के लिए 18 वर्ष व लड़कों के लिए 21 वर्ष की विवाह की कानूनी आयु का उल्लंघन नहीं कर सकता है. यह किशोर गर्भावस्था के खिलाफ एक सख्त निवारक के रूप में भी काम करेगा और हमारी लड़कियों के समग्र विकास में सुधार करेगा. उन्होंने कहा कि मैं उन सभी विधायकों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इस विधेयक व बाल विवाह को रोकने के सरकार के दृष्टिकोण को अपना समर्थन देने का संकल्प लिया. यह विधेयक दलगत राजनीति से ऊपर है और हमारी लड़कियों को सम्मान का जीवन देने का एक साधन है. राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन ने असम मुस्लिम विवाह एवं तलाक का अनिवार्य पंजीकरण विधेयक २०२४ पेश किया. इसका उद्देश्य काजी प्रथा को खत्म करना है जहां मौलवी मुस्लिम विवाहों का पंजीकरण करते हैं. इससे अब सभी विवाहों को सरकार के पास पंजीकृत किया जा सकेगा. प्रश्नों का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि काजियों द्वारा किए गए विवाहों के सभी पूर्व पंजीकरण वैध रहेंगे और केवल नए विवाह ही इस कानून के दायरे में आएंगे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-चंपई सोरेन की जासूसी करते पकड़े गए झारखंड पुलिस के दो दारोगा, असम सीएम का खुलासा
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